बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर 11 सूत्री मांगों को लेकर बिहार के लाखों रसोईया 30 नवम्बर से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने को तैयार है
न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण
– अमिट लेख
बेतिया, (मोहन सिंह)। बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर 11 सूत्री मांगों को लेकर बिहार के लाखों रसोईया 30 नवम्बर से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने को तैयार है।
सकी सूचना संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा बिहार सरकार, शिक्षा विभाग, एवं मध्याह्न भोजन के निदेशक सहित सभी जिला के जिलाधिकारी एंव डी पी ओ मध्याह्न भोजन को दिया जा चुका है। मध्याह्न भोजन निदेशक से कई बार वार्ता होने के बाद भी रसोईया के मांगों की समाधान का रास्ता नहीं निकलते देख बिहार की रसोईया को हड़ताल में जाने के लिए विवश होना पड़ा है। इस महंगाई में मात्र 1650 रुपए पर रसोईया से 8 घंटा काम लिया जा रहा है, जो मानवीय श्रम का खुल्लमखुल्ला शोषण हैं। मानदेय में बढोतरी के लिए रसोईया का विभिन्न संगठन लगातार सरकार और विभाग के समक्ष सवाल उठाता रहा है, लेकिन सरकार एवं विभाग की उदासीनता के कारण रसोईया को हडताल का रास्ता अख्तियार करना पड़ा है। संयुक्त संघर्ष समिति रसोईया के मानदेय में बढोतरी के साथ साथ रसोईया की सेवा उम्र सीमा 60 से बढा कर 65 बर्ष करने, साल में 10 माह की जगह 12 माह का मानदेय देने, ड्रेस के रूप में एप्रोन के साथ साथ साल में एक जोड़ी सूती साड़ी या ड्रेस मद में 1000 हजार रुपए देने, रसोईया के सेवा निवृत्ति पर 3000 हजार का पेन्शन देने या एक मुश्त 5 लाख का भुगतान करने, रसोईया से खाना बनाने खाना खिलाने के अलावा अन्य कार्य नहीं लेने, सभी रसोईया को विभाग की ओर से चयन पत्र एवं परिचय पत्र निर्गत करने, मध्याह्न भोजन विभाग से एन जी ओ, ठेकदारी प्रथा बंद करने, आदि मांगों को लेकर बिहार की लाखों रसोईया सरकार के उदासीन रवैया के खिलाफ हडताल में जा रही है। एटक जिला प्रभारी सह बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ एटक के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश क्रांति ने बताया कि सरकार रसोईया को मात्र 1650 देकर क्रूर मजाक कर रही है। वही मध्याह्न भोजन को एनजीओ के जिम्मे सौप कर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का खुल्लमखुल्ला उपहास उडा रही है। सर्वोच्च न्यायालय का आदेश ताजा और पौष्टिक आहार बच्चों को देना है। जिससे उन्हें कुपोषण से बचाया जा सके, लेकिन एन जी ओ के माध्यम से सडा, गला एवं बाशि भोजन बच्चों को परोसा जा रहा है जो बच्चों को कुपोषण से बचाने के बजाय कुपोषित ही कर रहा है। आये दिन बच्चे बिमार हो रहें हैं, एनजीओ के द्वारा परोसे जा रहे भोजन का विरोध बच्चे कर रहे हैं। लेकिन सरकार और विभाग को बच्चों की चिंता कम एनजीओ के लाभ की चिंता ज्यादा हैं। सरकार के इस फैसले का विरोध विभिन्न रसोईया संघ करता रहा, लेकिन सरकार आज तक बच्चों के भविष्य के प्रति संजीदा नहीं दिखी। बिहार के लाखों रसोईया के मांग को एटक समर्थन करते हुए इनके हडताल के साथ एकजुटता व्यक्त करता है तथा सरकार से अविलंब इनकी मांगों को पूरा करने की मांग करता है। बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ की बैठक में हडताली सेविका सहायिका के साथ एकजुटता व्यक्त किया गया तथा संविधान दिवस के अवसर पर संविधान, लोकतांत्रिक मूल्यों, मजदूरों, किसानों, छात्रों, नौजवानों, महिलाओं के हित की रक्षा के लिए संकल्प लिया गया। साथ हीं,भारतीय संविधान में आस्था व्यक्त करते हुए इस संविधान की अवमानना करने वालों के खिलाफ संघर्ष तेज करने का भी आह्वान किया गया। मौके पर बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ पं चम्पारण के जिला अध्यक्ष लालबाबु राम, सचिव वीणा देवी, संगठन प्रभारी शंभु नाथ मिश्र, रिंकू, शारदा, गिरजा, अनिता, इन्द्रा, संजय धागड़,रीना, गीता, उर्मिला, निर्मला, तारा मति, रेनू, सुशीला, मुन्नी, प्रमिला, चुन्नी लाल, यादो लाल प्रसाद, सहित सैकड़ों रसोईया उपस्थित रहीं।