गुरु ही साक्षात ईश्वर हैं, गुरु के माध्यम से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है : श्री जीयर स्वामी जी महाराज
✍️ अरुण कुमार ओझा, अनुमंडल ब्यूरो
– अमिट लेख
आरा/भोजपुर। पाल्हे में यज्ञ स्थल पर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए लोगों को गुरु पूर्णिमा के महत्व के बारे में समझाते हुए कहा कि पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अट्ठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था। वो आदि-गुरु माने जाते हैं। गुरु पूर्णिमा का यह प्रसिद्ध त्यौहार व्यास जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। गुरु अपने ज्ञान से शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। सही मार्ग पर ले जाते हैं और जीवन में अध्यात्म और कर्म का नीति-अनीति का बोध करवाते हैं। इसलिए गुरुओं के सम्मान में हर वर्ष यह पर्व मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के अलावा भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। आदि अनादि काल से ही गुरु शिष्य की परंपरा चलती आ रही है आज के दिन गुरु की पूजा की जाती है उनके आचरण को अपने जीवन में उतारने का सही प्रयास करना चाहिए। गुरु ईश्वर का ही प्रतिबिंब होता है गुरु के आदर्शों पर चलने पर साक्षात परमात्मा की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति के जीवन में सच्चे गुरु का दर्शन हो जाए बस समझो उसके जीवन की नैया पार हो गई। उसके जीवन के सारी परेशानियां समाप्त हो गई। और हरि का दर्शन हो गया। प्रत्येक शिष्य का कर्तव्य है कि अपने गुरु के बताए हुए मार्ग पर चलें। गलत मार्गों को छोड़ें। गुरु के मान सम्मान को बढ़ावे तभी कोई शिष्य कहलाने का हकदार है। अगर गुरु सही मार्ग पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं और बीच में भटकाव हो जा रहा है तो फिर गुरु पूजा का कोई महत्व नहीं रह पाएगा। गुरु के बताए हुए मार्ग पर चलने से परमेश्वर की प्राप्ति हो सकती है। सच्चे संत के दर्शन मात्र से मनुष्य के अंदर छिपे गलत कार्यों का परित्याग हो जाता है। उनका अंतः करण का पाप नष्ट हो जाता है। तथा जीवन में नए प्रकाश का आना प्रारंभ हो जाता है। बस अंतःकरण से सच्चे मन से सच्चे गुरु तथा संत के दर्शन करने की आवश्यकता है। तथा उनके मार्गों पर चलने की आवश्यकता है। इसमें कर्म की प्रधानता विशेष स्थान रखती है। क्योंकि व्यक्ति कितना भी पूजा पाठ करें भजन करे कीर्तन करें लेकिन अगर कर्म गलत हो तो फिर परिणाम गलत ही होना है। अतः मनुष्य को सही मार्ग पर चलने का सर्वप्रथम कार्य यही है कि गलत मार्गो पर चलना छोड़ दे। यज्ञ स्थल पर गुरु पूर्णिमा को लेकर व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई है। बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश आदि जगहों से काफी संख्या में लोग स्वामी जी के दर्शन करने हेतु आने वाले हैं। जिसमें यज्ञ समिति की तरफ से व्यापक स्तर पर प्रसाद की व्यवस्था की गई है। भोजपुर बक्सर से भी काफी संख्या में लोग स्वामी जी के दर्शन हेतु आ रहे हैं।