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Post: माह-ए-रमजान के पहले जुमा की नमाज में सारण के मस्जिदों में उमड़ी नमाजियों की भीड़

माह-ए-रमजान के पहले जुमा की नमाज में सारण के मस्जिदों में उमड़ी नमाजियों की भीड़

छपरा की डायरी….

रोजेदारों ने मांगी देश के अमन व तरक्की की दुआ, माहौल नूरानी

– अमिट लेख

रिपोर्ट : रुचि कमल सिंह ‘सेंगर’
छपरा (सारण) : जुमा के दिन से माह-ए-रमजान की शुरुआत हुई। रमजान के पहले दिन ही शुक्रवार यानी जुमा होने से रोजेदारों में खास उमंग व उत्साह नजर आया। छपरा शहर से लेकर नगर पंचायत एकमा बाजार सहित ग्रामीण इलाकों में रोजेदारों ने नमाज-ए-जुमा अदा किया।

इस दौरान देश के अमन व तरक्की की दुआएं मांगी गई। छपरा शहर में नमाज से पहले ओलेमा-ए-कराम के अलावा एकमा, रामपुर, मुकुंदपुर, कोहड़गढ़, कटोरा, कलान आदि मस्जिदों के इमाम ने रमजान की फजीलत और अहमियत को बयान करते हुए मुसलमानों से इस अहम इबादत को अदा करने की अपील की। हल्की गर्मी और धूप में बहुत गर्मी नहीं होने से रोजेदारों को थोड़ी राहत है। जुमा की आजान होने से पूर्व ही लोगों की भीड़ मस्जिद की ओर जाने लगी। मस्जिद में भी भीड़ के मद्देनजर खास इंतजाम रहे। छपरा शहर के मौला मस्जिद के इमाम व खतीब हाफिज जाकिर हुसैन ने कहा कि हज़रत सलमान फारसी कहते हैं कि शाबान (शब-ए-बारात) की आखरी तिथि को पैगंबर मुहम्मद ने संबोधित करते हुए कहा कि तुम पर एक बड़ी शानदार और बरकत वाला महीना सायाफगन होने वाला है। यह एक महीना हजार महीने से बेहतर है। इस महीने में अल्लाह ने रोजा (उपवास) को फर्ज करार दिया है। उन्होंने कहा कि रोजा का मकसद केवल भूखे प्यासे रहना नहीं है, बल्कि इंसान को मुत्तकी, विनम्र और नेक बनाना है। रमजान गरीबों के मजबूरी और उनके भूख-प्यास का एहसास कराता है। ताकि सक्षम लोग उनकी मदद करें।

जामा मस्जिद बड़ा तेलपा के इमाम मौलाना रज्जबुल क़ादरी ने संबोधित करते हुए कहा कि रमजान सभी महीनों में बेहतर महीना है। यह नेक लोगों के लिए खुशी है। तरावीह और नवाफिल की ज्यादा से ज़्यादा एहतमाम करें और ज्यादा से ज्यादा दुआएं मांगें। मार्कजी जामा मस्जिद अहले हदीस मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल कादिर ने बताया कि साल के ग्यारह महीने में खाने, पीने, सोने आदि से लेकर इबादत और इंद्रियों पर काबू पाने के कार्यों में जो बेतरतीबी आ जाती है। रमजान उन्हें मामूल पर ला देता है और इंसान पुनः अगले साल के लिए संयमित जीवन जीने के लिए तैयार हो जाता है। उन्होंने बताया कि रोजा के दौरान इबादत का सत्तर गुना ज्यादा सवाब मिलता है। लिहाज ज्यादा से ज्याद कुरआन की तिलावत, नमाज का एहतमाम, गरीबों की मदद आदि की कोशिश करनी चाहिए। शिया मस्जिद के इमाम-ए-जुमा मौलाना सैयद मासूम रजा ने बताया कि इसी महीने में अल्लाह ने अपनी मुकद्दस किताब कुरआन मजीद को नाजिल किया इस लिए भी इसका विशेष महत्व है। यह महीना नेकी हासिल करने, गुनाह से निजात पाने, बेहतर इंसान बनने का महीना है। काजी-ए-शहर मौलाना वलीउल्लाह कादरी व उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय गौसपुर के प्रधानाध्यापक मोहम्मद तौकीर अंसारी ने बताया कि जकात और सदका फित्र को सही लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करें। इसके हकदार को अदा करें वरना आप का जकात और सदका ए फितर अदा नही होगा। सदका फितर सभी को अदा करना है. चाहे वह एक दिन का बच्चा ही क्यों न हो। इस रकम से गरीबों की मदद की जाती है। इसके अतिरिक्त चल-अचल सम्पत्ति का ढ़ाई प्रतिशत जकात (टैक्स) अलग से अदा करना है। उधर एकमा प्रखंड क्षेत्र में नन्हें-मुन्ने बच्चे भी रोज का उपवास रखें हैं।

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