हमारे प्रादेशिक विशेष ब्यूरो दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :
राजधानी के दो लोकसभा क्षेत्रों में से एक पाटलिपुत्र बिहार की खास सीट है
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनकी बेटी मीसा भारती चुनाव लड़ती रही हैं
न्यूज डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना, (विशेष ब्यूरो)। राजधानी के दो लोकसभा क्षेत्रों में से एक पाटलिपुत्र बिहार की खास सीट है। इसकी खासियत यह है कि इसका एक कोण लालू परिवार से भी जुड़ता है। पटना के प्राचीन नाम पर अवस्थित पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनकी बेटी मीसा भारती चुनाव लड़ती रही हैं। पिता-पुत्री दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा। दोनों को मात देने वाले एक समय लालू प्रसाद के करीबी रहे हैं। परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में वर्ष 2009 में पहली बार चुनाव हुआ। तब से अबतक इस सीट पर एनडीए का कब्जा रहा है। पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का गठन पड़ोस के तीन लोकसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले विधानसभा सीटों को जोड़कर किया गया है। जहानाबाद से मसौढ़ी, आरा से पालीगंज एवं मनेर तथा पटना लोकसभा से फुलवारी, दानापुर व बिक्रम को मिलाकर पाटलिपुत्र नाम दिया गया। वर्ष 2009 में राजद से लालू प्रसाद और जदयू से रंजन प्रसाद यादव चुनाव मैदान में थे। यादव बहुल इस सीट से लालू प्रसाद की जीत पक्की लग रही थी। लेकिन परिणाम ने सबको चौंका दिया। एक समय लालू प्रसाद के दाहिने हाथ माने जाने वाले जदयू के रंजन प्रसाद यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को शिकस्त दे दी। वर्ष 2014 के चुनाव में राजद से बगावत कर रामकृपाल यादव भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में कूद गए। राजद ने लालू प्रसाद की बड़ी बेटी मीसा भारती को उतारा। रामकृपाल भी कभी लालू परिवार के बेहद निकट लोगों में रहे हैं। चुनाव में मीसा भारती की हार हुई। भाजपा कोटे से पहली बार चुनाव मैदान में विजय पताका फहराने वाले रामकृपाल केंद्र में राज्य मंत्री बने। पहले पेयजल एवं स्वच्छता और फिर ग्रामीण विकास राज्यमंत्री बनाए गए। 2019 में फिर से रामकृपाल यादव और मीसा भारती के बीच टक्कर हुई। रामकृपाल इस बार भी चुनाव जीते। पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा करीब पांच लाख यादव मतदाता हैं। इसके बाद चार लाख कुर्मी तो तीन लाख भूमिहार वोटर हैं। दलित व मुस्लिम भी ठीक-ठाक है। दिलचस्प है कि लोकसभा क्षेत्र पर एनडीए काबिज है, पर क्षेत्र की सभी 6 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के घटक दलों का कब्जा है। कन्हौली-रामनगर छह लेन सड़क, शेरपुर-दिघवारा पुल में गंगहारा में रैम्प (दियारा का पटना और छपरा से सीधा जुड़ाव), बिहटा में ईएसआईसी अस्पताल, फुलवारीशरीफ में ईएसआईसी अस्पताल का नया भवन, दानापुर-शिवाला-बिहटा एलिवेटेड रोड, दानापुर में सात बड़े नाले का निर्माण, फुलवारीशरीफ-एम्स के बीच नाला निर्माण शामिल है। मसौढ़ी व शिवाला में आरओबी बनना है। पटना-गया रेखलंड में तीन अंडरपास, तीन लाईट ओवर ब्रिज, मसौढ़ी में ऑक्सीजन प्लांट, दानापुर में अस्पताल का नया भवन, सगुना-खगौल के बीच आठ लेन सड़क, दानापुर कैंट से बाईपास का निर्माण आदि। क्षेत्र में पहले आवागमन की काफी समस्या थी। बतौर सांसद हमने सभी तरह के कम्यूनिकेशन और बुनियादी सुविधाओं पर काम किया। अब पालीगंज या मसौढ़ी पहुंच जाएं तो लोगों को लगता है कि वे पटना पहुंच गए। क्योंकि पालीगंज और मसौढ़ी से चंद मिनटों में लोग पटना पहुंच जाते हैं। सड़क, नली-गली, पेयजल, शिक्षण संस्थान, सिंचाई, बिजली, अस्पताल को लेकर काम किया। अभी किसी गांव में सड़क की समस्या नहीं है। बतौर रेल मंत्री लालू प्रसाद ने बिहटा-नवीनगर रेल परियोजना का शिलान्यास किया, जो आज तक अधूरा है। क्षेत्र में विकास नाम की कोई चीज नहीं है। किसी भी विधानसभा क्षेत्र में सांसद की ओर से उद्घाटन या शिलान्यास का सूचना पट्ट तक नहीं दिखता है। भाजपा के साथ बैठकर मौजूदा सांसद केवल जुमलेबाजी कर रहे हैं। आगामी चुनाव में न केवल पाटलिपुत्र बल्कि पूरे बिहार में इंडिया गठबंधन की जीत होगी। बिहटा-औरंगाबाद रेल लाइन का काम अब तक शुरू नहीं हो सका है। इसको लेकर आंदोलन भी होता रहा है। बिहटा एयरपोर्ट परियोजना का काम शुरू नहीं हो सका। शिवाला-बिहटा रोड में आए दिन कहीं न कहीं दुर्घटनाएं होती रहती है। इसके विकल्प में उसरी से सराय, चौड़ा गोपालपुर, लक्ष्मणपुर, मिल्कीपर, महमदपुर होते हुए बिहटा तक जाने वाली सड़क नहीं बन सकी। नेऊरा व सदीसोपुर के बीच गांधी हॉल्ट पर सुविधाओं का अभाव है। कई पैसेंजसर ट्रेन अभी हॉल्ट पर नहीं रुक रही हैं। क्षेत्र में दर्जनों गांवों का पंचायत से सीधा सड़क सम्पर्क नहीं है। सभी पंचायत में हाईस्कूल नहीं हैं। क्षेत्र में बालिका उच्च विद्यालय की कमी है। 2014 में भाजपा को रालोसपा, लोजपा और हम का साथ मिला था। जदयू अकेले चुनाव लड़ा था। भाजपा उम्मीदवार रामकृपाल की राह आसान रही। 2019 के चुनाव में जदयू व भाजपा को लोजपा का साथ मिला। एक बार फिर एनडीए में भाजपा, रालोजद व लोजपा है तो जदयू, राजद के साथ गठबंधन में छह दल हैं। ऐसे में किसी की जीत इस पर निर्भर करेगा कि वह समीकरण को कितना अपने पक्ष में कर पाता है।