विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :
केके पाठक के खिलाफ आंदोलन का ऐलान
आईएएस केके पाठक भले ही शिक्षा विभाग से चले गए, लेकिन अब उनके दामन पर भ्रष्टाचार के दाग लग रहे है
न्यूज डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना, (ए. एल. न्यूज़)। आईएएस केके पाठक भले ही शिक्षा विभाग से चले गए, लेकिन अब उनके दामन पर भ्रष्टाचार के दाग लग रहे है। शिक्षा विभाग में भर्ती के दौरान बड़े घोटाले का आरोप लग रहा है। पटना में शिक्षक अभ्यर्थियों की संयुक्त बैठक के दौरान विभाग में हुए कथित घोटाले पर आंदोलन की घोषणा की गई है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि आरटीआई से हुए खुलासे में यह साफ हो गया है कि महिला एवं दिव्यांग कोटे में गलत तरीके से आरक्षण का लाभ देकर बिहार के बाहर के अभ्यर्थियों की भर्ती की गई है। इसके अलावा कंप्यूटर साइंस सहित अन्य विषयों में योग्यता की जांच किए बिना ही अंतिम रूप से भर्ती करवाई गई है। आरटीआई से खुलासे के बाद बड़ी संख्या में फर्जी शिक्षक पकड़े जा चुके है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग द्वारा संशोधित रिजल्ट जारी नहीं किया जा रहा है। ऐसे में शिक्षकों में बेहद आक्रोश है। शिक्षक संघ ने सरकार और विभाग को 10 दोनों का अल्टीमेटम दिया है। इस दौरान शिक्षक नेता विभागीय मंत्री से मिलकर समाधान की मांग करेंगे।
शिक्षक नेताओं ने कहा कि आईएएस केके पाठक और बीपीएससी के पूर्व अध्यक्ष अतुल प्रसाद द्वारा शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है। अगर 10 दिनों में मामले की जांच नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। तो इधर केके पाठक के तबादले से शिक्षकों में खुशी की लहर है। इस बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि केके पाठक के रहते शिक्षा विभाग में कितना बदलाव आया है। शिक्षक नेता अमित विक्रम ने आरोप लगाया है कि केके पाठक ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव रहते सिर्फ और सिर्फ मीडिया की सुर्खियां बटोरी है। उन्हें मीडिया में बने रहने की आदत है। इसी कारण वह अनाप-शनाप फैसले लेते रहते है। अमित विक्रम ने कहा कि केके पाठक ने एसीएस रहते शिक्षा विभाग में कोई सुधार नहीं किया, बल्कि उनके कार्यकाल के दौरान कई तरह के घोटाले हुए है। अब इन घोटालों की जांच होनी चाहिए। अमित विक्रम का आरोप है कि घोटालों को दबाए रखने के लिए ही केके पाठक अनर्गल फैसले लेते रहे और मीडिया की हेडलाइन बनते रहे।