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बिहार में रद्द हो सकता है राहुल गांधी का दौरा

विशेष ब्यूरो बिहार की रिपोर्ट :

27 को नालंदा में होना था कार्यक्रम

न्यूज़ डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
-अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज़)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का 27 मई को प्रस्तावित बिहार दौरा अब अधर में लटकता नजर आ रहा है। इस दिन उनका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में एक महत्वपूर्ण सम्मेलन करने का कार्यक्रम तय था, लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि यह दौरा रद्द हो सकता है। पार्टी सूत्रों की मानें तो दौरे को कुछ समय के लिए टाल दिया गया है और जल्द ही इसके नए कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा की जाएगी। राहुल गांधी के इस प्रस्तावित दौरे को लेकर कांग्रेस नेताओं ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि 27 मई को वे बिहार आएंगे। खास बात यह थी कि उनका कार्यक्रम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में था, जहां वे अति पिछड़ा सम्मेलन करने वाले थे। इसे लेकर कांग्रेस के रणनीतिकारों ने इसे एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने वाला कार्यक्रम बताया था। लेकिन अब यह सामने आ रहा है कि न तो बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कार्यक्रम स्थल तय किया और न ही जिला प्रशासन को कोई औपचारिक सूचना दी गई। यही कारण है कि अब राहुल गांधी का यह दौरा टलने की स्थिति में है। राहुल गांधी का यह दौरा कई मायनों में खास माना जा रहा था। नालंदा में अति पिछड़ा सम्मेलन आयोजित कर कांग्रेस उन जातियों और वर्गों को साधना चाह रही थी, जो बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। बिहार की कुल जनसंख्या में 36 प्रतिशत लोग अति पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी से आते हैं। साथ ही 27 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग को मिलाकर कुल 63 प्रतिशत आबादी ओबीसी में आती है। वहीं दलित वर्ग की जनसंख्या करीब 19 प्रतिशत है। कांग्रेस इन्हीं सामाजिक वर्गों को केंद्र में रखकर अपनी चुनावी रणनीति तैयार कर रही है।

दलित-ओबीसी फोकस और नेतृत्व में बदलाव

पिछले पांच महीनों में राहुल गांधी बिहार के चार दौरे कर चुके हैं और हर दौरे में उन्होंने दलितों और पिछड़े वर्ग को प्राथमिकता दी है। यही वजह है कि पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी राजेश राम को सौंपी, जो दलित समुदाय से आते हैं। इससे कांग्रेस यह संकेत देना चाहती है कि वह सामाजिक न्याय की राजनीति को फिर से अपने पक्ष में मोड़ना चाहती है। नालंदा में अति पिछड़ा सम्मेलन इसी रणनीति का हिस्सा था।

बिहार में कांग्रेस की स्थिति और गठबंधन राजनीति

पिछले कुछ दशकों से बिहार में कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिरता गया है। 1990 के बाद से पार्टी सत्ता से बाहर है और कई बार वह हाशिए पर चली गई। 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन मात्र 19 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई। वर्तमान में कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा है, जिसमें आरजेडी, विकासशील इंसान पार्टी, भाकपा माले, सीपीआई और सीपीएम जैसे दल शामिल हैं। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले वह अधिक सीटों पर अपनी दावेदारी मजबूत कर सके। हालांकि फिलहाल राहुल गांधी का नालंदा दौरा टल गया है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि जल्द ही नया कार्यक्रम तय किया जाएगा। कांग्रेस चाहती है कि सामाजिक समीकरणों के हिसाब से कार्यक्रमों को आयोजित किया जाए ताकि पार्टी का जनाधार मजबूत हो सके। राहुल गांधी खुद इस अभियान की अगुवाई कर रहे हैं और बिहार में कांग्रेस को फिर से स्थापित करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। अब देखना होगा कि अगला दौरा कब होता है और पार्टी किस रणनीति के तहत आगे बढ़ती है।

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