



विशेष ब्यूरो बिहार की रिपोर्ट :
दूसरा बाघ घायल, वनकर्मियों की टीम तैनात
न्यूज़ डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
-अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज़) बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में 22 मई 2025 को एक बाघिन की मौत की खबर ने वन विभाग को सतर्क कर दिया है। हरनाटाड़ क्षेत्र के कक्ष संख्या एन-3 में गश्त के दौरान वनकर्मियों को चार वर्षीय बाघिन का शव मिला, जिसके शरीर पर कई जगह गहरे घाव थे। इस घटना ने टाइगर रिजर्व की सुरक्षा व्यवस्था पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामणि ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह मामला दो बाघों के बीच क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई का लग रहा है। इस तरह की भिड़ंत सामान्यतः मादा या शावकों की रक्षा या इलाके पर कब्जे को लेकर होती है। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि इस संघर्ष में शामिल दूसरा बाघ भी घायल हो सकता है, जिसके लिए क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी गई है और वनकर्मियों की विशेष टीम उसकी तलाश में जुट गई है। घटना स्थल पर वन विभाग की टीम के अलावा वेटनरी एक्सपर्ट डॉ. मनोज कुमार टोनी, बॉयोलॉजिस्ट सौरभ कुमार, डीएफओ पीयूष बरनवाल और रेंजर शिवकुमार राम भी पहुंचे। बाघिन के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। इसके साथ ही शव के नमूने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली और वन्यजीव संस्थान, देहरादून भेजे जा रहे हैं ताकि मौत का वास्तविक कारण वैज्ञानिक तौर पर स्पष्ट किया जा सके। अधिकारियों ने इस घटना में शिकार की संभावना को खारिज किया है, लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर टाइगर रिजर्व में निगरानी बढ़ा दी गई है। वीटीआर के संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त गश्त और कैमरा ट्रैप की व्यवस्था की जा रही है ताकि बाघों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। यह कोई पहली घटना नहीं है जब वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघ की अप्राकृतिक मौत हुई हो। पिछले पांच वर्षों में छह से अधिक बाघों की मौत दर्ज की गई है। 2021 में गोबर्धना वन क्षेत्र में एक बाघ की धारदार जाल में फंसकर मौत हो गई थी। उसी वर्ष फरवरी में बाघिन टी-3 इलाज के दौरान मारी गई। अक्टूबर 2021 और मार्च 2022 में भी अलग-अलग कारणों से बाघों की जान गई। 2022 में एक नरभक्षी बाघ को मारना पड़ा, जिसने आठ लोगों की जान ली थी। 2023 में भी एक रॉयल बंगाल टाइगर की रहस्यमयी मौत हुई थी। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार का एकमात्र टाइगर रिजर्व है और इसका क्षेत्रफल 899 वर्ग किलोमीटर है। यह नेपाल के चितवन नेशनल पार्क और उत्तर प्रदेश के सोहागीबरवा वन्यजीव अभयारण्य से सटा हुआ है, जिससे यहां वन्यजीवों की आवाजाही होती रहती है। 2018 में जहां यहां सिर्फ 31 बाघ थे, वहीं 2023 में इनकी संख्या बढ़कर 54 हो गई थी। इसी आधार पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इसे ‘वेरी गुड’ श्रेणी में रखा। बाघिन की हालिया मौत ने एक बार फिर वीटीआर में वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था पर चिंता जताई है। बाघों के बीच आपसी संघर्ष भले ही प्राकृतिक हो, लेकिन लगातार हो रही मौतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वन विभाग को चाहिए कि वे निगरानी तंत्र को और सशक्त करें और रिजर्व के भीतर शिकार, करंट, अवैध गतिविधियों और संघर्ष जैसे जोखिमों से निपटने के लिए ठोस रणनीति अपनाएं।