मामला न्यायालय में विचाराधीन फिर परचाधारियों की जमात किसने बुलाई
दो दिनों से वाल्मीकिनगर के रामपुरवा लक्ष्मीपुर में जमीन कब्ज़ेवारी को ले परचाधारी कर रहे कैंप
पुलिस प्रशासन और एसएसबी हर स्थिति पर डाले है पैनी नजर
भूस्वामी के मुताबिक मामला न्यायालय में, फिर कब्ज़ेवारी का मामला तो पूर्णतः अनैतिक और क़ानून विरोधी
हालांकि नीतीश राज में न्यायालय के आदेश को ठेंगा दिखाना कोई आश्चर्यजनक घटना नहीं
यदि प्रशासन को न्यायालय से मिला होता निर्देश तो हाय बवेला नहीं मचता, और दो पक्ष नहीं होते आमने सामने
बकौल अनुमंडल पुलिस उपाधिक्षक वरीय पदाधिकारियों के निर्देश के बगैर कुछ भी नहीं बता सकता
बगहा दो सीओ की मौके पर उपस्थिति दर्शाता है गंभीर मामला? कहीं ऊपरी दबाव में तो नहीं जुटा प्रशासन..!
✍️ वाल्मीकिनगर से नंदलाल पटेल की रिपोर्ट
– अमिट लेख
वाल्मीकिनगर, (इंडो-नेपाल)। थाना क्षेत्र के लक्ष्मीपुर रामपुरवा पंचायत के रमपुरवा में सीलिंग की ज़मीन पर क़ब्जेवारी को लेकर दो पक्ष के हज़ारों लोग आमने सामने आ गए हैं।
इसमें 136 भूमिहीन व दलित परिवार के पर्चा धारी लोग धरना पर उतारू हो गए हैं। जबकि दावेदारी पेश की जाने वाली ज़मीन भू-स्वामी व स्थानीय पूर्व मुखिया के कब्ज़ा दख़ल में वर्षों से चली आ रही है। बताया जा रहा है कि क़रीब 40 वर्ष पहले यहां 136 भूमिहीन परिवारों को बासगीत का पर्चा मिला था। तब से इन्हें कब्ज़ा दख़ल नहीं मिला, पर्चा वितरण के बाद भू-स्वामी के विरोध पर माननीय न्यायालय ने इस पर रोक लगा दिया है औऱ अभी क़ब्जेवारी को लेकर मामला न्यायालय के अधीन है। जानकारी के मुताबिक सीलिंग एक्ट के बाद भू-स्वामी के क़ब्जे, दख़ल व जोत आबाद में विवादित ज़मीन वर्षों से चली आ रही है। इसी बीच दो दिनों से अचानक इसी ज़मीन पर कब्ज़ा दख़ल करने 136 वासगीत पर्चा धारी पहुंचे हैं।
हास्यास्पद यह भी है की भू स्वामी के अनुसार जिस खेसरा नंबर 64 पर ताना-बाना बुना जा रहा है उससे जुडा कोई पर्चा हीं निर्गत नहीं है और जो लोग पर्चाधारी कब्ज़ा करने आये हैँ उन्हें एक ठेकेदार ने जुटाया है जो चाहता है किसी तरह ज़मीन पर उसका कब्ज़ा हो जाये। हालांकि, पर्चा का मामला माननीय उच्च न्यायालय और स्थानीय न्यायालय में अभी विचाराधीन है। फिलहाल, दोनों पक्षों के लोग आमने सामने आ गए हैं और स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। हालांकि विधि व्यवस्था के मद्देनजर मौक़े कई थानों की पुलिस बल, एसएसबी जवान कैम्प कर रहे हैं। एक ओर भू-स्वामी इसे अवैध तरीके से दबंगई कर न्यायाधीन ज़मीन पर ज़बरन क़ब्ज़ा करने की बात कर रहे पुलिस प्रशासन पर किसी के दबाव में लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं, तो दूसरी तरफ पर्चा धारी भूमिहीन प्रदर्शनकारियों ने भी प्रशासन औऱ सरकार की ढुल मूल नीति को लेकर कई आरोप लगाते हुए अनदेखी करने की बात कही है।
इतना ही नहीं लोग दावा कर रहे हैं कि जब तक उन्हें कब्जा नहीं दिलाया जाएगा तब तक विरोध प्रदर्शन ज़ारी रहेगा। इधर, इस मामले में विधि व्यवस्था के मद्देनजर मोर्चा संभाले एसडीपीओ कैलाश प्रसाद ने मीडिया कर्मियों के कैमरे के सामने कहा है कि मैं इस मामले में बग़ैर वरीय अधिकारियों के निर्देश पर कुछ भी नहीं बोल पाऊंगा। ऐसे में सवाल यह है कि क्या पुलिस प्रशासन को किसी अनहोनी या किसी बड़े घटना का इंतज़ार है, क्योंकि मामला जब न्यायाधीन है तो ऐसे में नियम व कानून का उल्लंघन कर इतनी बड़ी संख्या में एकबारगी पर्चाधारी एकजुट होकर आमने सामने कैसे आ गए हैं। और क़ानून के रखवाले पुलिस प्रशासन क़ानून की दहलीज को लांघने वालों के विरुद्ध अबतक तमाशबीन क्यों बने हुये हैँ। यदि न्यायालय का आदेश कब्ज़ा दिलाने का हो, तो इसकी जानकारी भूस्वामी को भी जरूर होती यदि ऐसा कुछ नहीं तो निःसंदेह भूमिहीनों को ढाल बना कोई धुरंधर दूर बैठा खेल खेल रहा है। जिसके मोहरे इस विषयक पुलिस प्रशासन समेत भोले भाले गरीब भूमिहीन बने हुये है। यदि, नियमानुसार प्रशासन सूंझ बूझ से काम नहीं लेगा, तो निःसंदेह रामपुरवा सीलिंग की जमीन कानूनी अनदेखी के चलते किसी ओछी मानसिकता के राजनीतिबाज़ के हाथों में गेंद के मानिंद उछलते हुये किसी बड़े घटना को अंजाम दे सकता है।
हालांकि बगहा दो के अंचलाधिकारी दीपक कुमार ने स्पष्ट किया है की स्थिति शांतिपूर्ण और नियंत्रण में है, प्रशासन दोनों पक्ष के कागजातों को देखेगी और परखेगी फिर न्यायोचित निर्णय लिया जायेगा। सीओ दीपक कुमार ने अपने बयान में इस बात का ज़िक्र कर दिया है की सीलिंग का मामला स्थानीय और माननीय उच्च न्यायालय में चल रही है। लिहाजा साफ नज़र आ रहा है की मलाई खाने की आदी हो चुकी किसी बिल्ली ने फिर सुनियोजित मगर नासमझी की छलांग लगाकर पुलिस प्रशासन और भोले भाले परचाधारियों का कीमती समय अपने दांव पेंच में लगा दिया है।