



किसानों की अगैती धान पककर तैयार हो गई है, परन्तु जहाँ, फसल कटने से खेत में सूखने को रखी धान की फसल लगातार हो रहे बारिश से बर्बाद होने लगी है
न्यूज़ डेस्क, बगहा ब्यूरो
जगमोहन काजी, (संवाददाता)
– अमिट लेख
बगहा, (ग्रामीण)। किसानों की अगैती धान पककर तैयार हो गई है, परन्तु जहाँ, फसल कटने से खेत में सूखने को रखी धान की फसल लगातार हो रहे बारिश से बर्बाद होने लगी है।

वहीँ, पककर तैयार धान की फसल बीस से तीस फीसदी बेतरकीब ढह जाने के चलते खेतों में हो चले अत्यधिक जल जमाव के चलते ख़राब होने लगी है। रविवार रात्रि से शुरू बारिश आज मंगलवार तक निरंतर हो रही है, बारिश थमने की उम्मीद अभी तक नहीं लग रही। अनुमान के अनुसार लगभग 62.2 मिमी और एक दिन पहले 14.4 मिमी बारिश हुई। जिसका सीधा असर अगैती धान की तैयार फसल पर हुआ। इसके साथ-साथ इस बारिश के कारण धान कटनी के बाद दलहन-तेलहन सरसों, राई, मसूर, चना जैसा, जो फसल किसान लगाते हैं, उनको लगाने का समय 15 अक्टूबर से 20 नवंबर तक है। वर्षा के चलते अब इसमें भी देरी हो जाएगी। सोमवार को दिन और फिर रात में जमकर बारिश हुई। यह किसानों के लिए आफत की बारिश थी। तीस से चालीस फीसदी धान की तैयार फसल पककर कटनी से पहले खेत में बर्बाद हो रहा है। जबकि बीस से तीस फीसदी तैयार फसल काटने के बाद बारिश से बर्बाद हो रहा है। बगहा दो प्रखंड के मुख्यतः थरूहट की राजधानी हरनाटांड क्षेत्र में इस बारिश ने किसानो के होस उड़ा दिये है। किसानों कि ऐसी स्थिति बन चुकी है की, खेतों में तैयार फसल घर तक लाने की संभावना नजर नहीं आ रही है। बैरिया निवासी ओमनारायण, मोहना गांव के परमेश्वर यादव, तरूअनवां के रमेश काजी सहित दर्जनों किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल बारिश की भेंट चढ़ रही है। किसानों ने बताया कि सोमवार की रात्रि से आज मंगलवार तक बारिश रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। अभी तक लगभग 62.2 मिमी बारिश रिकॉर्ड दर्ज की गई है। जबकि उसके एक दिन पहले 14.4 मिमी बारिश हुई थी। नदी में पानी घटा नहीं, धान की फसल बर्बाद, अब रबी पर भी आफत, जंगली नदी से जुड़े ग्रामीण इलाकों में मानसून के बाद की बारिश कहर बनकर टूटी है। अभी नदी का जलस्तर नहीं के बराबर घटा है। जिससे खेतों में पानी भरा है। बारिश ने नुकसान तो की ही है, परन्तु रही-सही कसर तेज हवा पूरी कर दी है। करीब साठ फीसदी धान की फसल तेज हवा से गिर गई है। खेतों में पानी से फसल बचने की संभावना कम ही है। शेष फसलों का भी खेत से पानी निकलने तक बचे रहने की उम्मीद नहीं दिख रही। जिस वजह से रबी फसल की खेती पर भी असर पड़ेगा। स-समय पर रबी फसल असिंचित क्षेत्रों में लगा पाना मुश्किल है। खेतों में पानी होने से फसल तेज हवा से गिर रही है, ऐसे में धान घर तक पहुंचना संभव नहीं है। एक महीने में रबी फसल की बुआई भी शुरू हो जाती है। लेकिन अब वह संभव नहीं होगा अगात धान की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान है। फसल नहीं भी गिरी तो समय पर उसकी कटनी नहीं हो सकेगी। इसका सीधा असर रबी में दलहन और तेलहन फसल पर पड़ेगा। जबकि गेहूं की फसल देर तक लगाई जाती है। किसानों की मानें तो इस बारिश से फायदा नहीं, केवल नुकसान ही होगा। पिछले दिनों लगातार बारिश से अधिकांश लोग अपने खेतों में अगैती धान की फसल लगा लिए, पर अब वही बारिश उनकी पककर तैयार फसल को अपना ग्रास बना रही है, जो थरुहट क्षेत्र के किसानों के लिए चिंता का विषय है।