मन्नत पुरी हुई तो हिन्दू रिति रिवाज से करती है छठ
न्यूज़ डेस्क ,पूर्वी चंपारण
दिवाकर पाण्डेय
मोतिहारी (जिला ब्यूरो )। सूर्योपासना का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ पर्व में सूर्योपासना से छठी माता प्रसन्न होती है।मोतिहारी पूर्वी चम्पारण जिला के बंजरिया प्रखंड के अमवा सिसवा गांव की रहने वाली सायरा खातून पिछले चार वर्षों से पूरे विधि विधान के साथ छठ व्रत करती है। भगवान भास्कर को दोनों वक्त अर्घ्य देती हैं। पूजा में उनका पूरा परिवार सहयोग करता है। शायरा खातून के साथ छठ पर्व को लेकर एक कहानी जुड़ी है। वे बताती हैं कि कि मेरे बहू को दो बच्चे हुए, लेकिन दोनों बच्चों की कुछ ही अंतराल के बाद मौत हो गई। इससे वह काफी दुखी रहती थी। चार साल पहले छठ पूजा के दौरान वह पड़ोसी भागीरथ राम के यहां गई थी। छठ घाट पर छठी मईया की पूजा की तैयारियां चल रही थी। छठी मईया की पूजा को देखने के लिए वह भी घाट पर गई हुई थी। घाट पर जाते ही अपने दुर्भाग्य को लेकर वह रोने लगी। उन्हें रोते हुए देखकर भगीरथ की पत्नी को देखा नहीं गया, तभी उन्होंने कहा कि आपको छठी मईया से अपना दुख-दर्द बांटना चाहिए। छठी मईया को प्रमाण करके आप कुछ भी मांगिए। आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी। वह कहती है कि भगीरथ की पत्नी की बात सच हुई। छठी मईया ने मेरी सुन ली। मैंने छठी मईया से पोता मांगा था और मुझे मिल गया। इसके बाद से ही मैं इस छठ व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करती हूं। शायरा खातून बताती है कि वह हिंदू विधि-विधान से गेहूं धुलती हैं। इसके बाद उसे सूखाती हैं। साथ ही, मिट्टी का चूल्हा बनाकर उससे ठेकुआ और अन्य प्रसाद भी बनाती हैं। वह कहती हैं कि छठ व्रत के दिन मेरे पति या पुत्र सर पर दऊरा रख घाट पर जाते हैं। जहां हम ग्रामीण महिलाओं के साथ बैठकर अर्घ्य देते हैं साथ ही मिलजुल कर यह पवित्र और पावन पर्व करते हैं। उन्होने बताया कि हमें आसपास के लोगों का काफी सहयोग मिलता है। वह बताती है कि वे हर वर्ष कोशी भी भर रही हैं। जिससे मेरा पूरा परिवार खुशहाली में जी रहा है।