लकवा से बचना सम्भव : डा०सदाम
न्यूज़ डेस्क, पूर्वी चंपारण
दिवाकर पाण्डेय
अमिट लेख
मोतिहारी (जिला ब्यूरो) : दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति अपने जीवन काल में झेल रहे स्ट्रोक (लकवा) का प्रभावस्ट्रोक (लकवा) एक न्यूरो इमरजेंसी है। जिसका इलाज संभव है। अगर मरीज को गोल्डन आवर्स (पहले 4.5 घंटे) के अंदर नजदीकी अस्पताल या स्ट्रोक सेंटर पहुंचाया जाये तो अत्यावश्यक मस्तिष्क कोशिकाओं के स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त से होने वाली मृत्यु या आजीवन विकलांगता से बचाया जा सकता है। उक्त जानकारी राजधानी पटना स्थित न्यूरो व ट्रॉमा स्पेशलिस्ट मेडाज हॉस्पिटल के सेंटर हेड सद्दाम मोहम्मद और प्रशिक्षित स्टाफ ने मोतिहारी में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दी। पटना से स्ट्रोक दिवस पर रवाना हुए। जागरूकता वाहन आम लोगों में स्ट्रोक के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से जागरूकता वाहन के साथ मोतिहारी पहुंचे मेडाज हॉस्पिटल के सेंटर हेड सद्दाम मोहम्मद और प्रशिक्षित स्टॉफ ने बताया कि इस जागरूकता वाहन को अस्पताल के डायरेक्टर व चीफ कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट प्रो (डॉ) जेड आजाद ने विश्व स्ट्रोक दिवस पर हरी झंडी दिखा कर रवाना किया है. ऐसे कई वैन राज्य के विभिन्न जिलों में घूम-घूम कर लोगों को स्ट्रोक (लकवा) के कारण, लक्षण, इलाज व इस से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक कर रहे हैं. लकवा के इलाज में हर मिनट महत्वपूर्ण: ,हॉस्पिटल के सेंटर हेड सद्दाम मोहम्मद और प्रशिक्षित स्टॉफ ने बताया कि स्ट्रोक दुनिया में विकलांगता का प्रमुख और भारत में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है. दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति अपने जीवन काल में स्ट्रोक (लकवा) का प्रभाव झेलते हैं. यह किसी को भी और किसी उम्र में हो सकता है. स्ट्रोक के संकेत व लक्षणों को जल्दी पहचान कर इस के प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि स्ट्रोक के इलाज में हर मिनट महत्वपूर्ण है. आपकी तत्काल कार्रवाई पीड़ित की मस्तिष्क क्षति और दीर्घकालीन विकलांगता को रोकने में मदद कर सकती है. इसलिए जरूरी है कि लोग इसके लक्षणों को पहचानें और किसी में भी यह लक्षण दिखने पर उसको तत्काल विशेषज्ञ डॉक्टर या अस्पताल तक पहुंचाये।