जिला ब्यूरो संतोष कुमार की रिपोर्ट :
सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः मंत्र पूरे शहर गुंजायमान
न्यूज़ डेस्क, जिला सुपौल
संतोष कुमार
– अमिट लेख
सुपौल, (ए.एल.न्यूज़)। जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडल क्षेत्र में शारदीय नवरात्र में नौ रूपों में मां की हो रही पूजा अर्चना से शहर से लेकर गांव वैदिक मंत्रों से गूंज उठा है।
मंदिरों में घड़ी घंट तथा शंखनाद से पूरा शहर भक्ति रस में डूबता जा रहा है लाउड स्पीकर से या देवी सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः मंत्र पूरे शहर में गुंजायमान है। सुबह चार बजे से ही मंदिरों में तैयारी शुरू हो जाती है। छह, बजते बजते मंदिरों व पूजा पंडालों में मंत्रोच्चार गूंजने लगते है। नगर परिषद परिषद क्षेत्र स्थित सार्वजनिक बड़ी दुर्गा मंदिर चंपावती मंदिर कथा देवी काली मंदिर में सुबह शाम मंत्रोचार से माहौल भक्ति भक्ति में हो गया है सुबह से ही भक्त मंदिर परिसर पूजा अर्चना को पहुंचने लगे हैं महिला व पुरुष दर्शनार्थी मंदिर परिसर में खड़े होकर मां के जयकारे के साथ अपनी बारी का इंतजार करते दिखे सुबह से ही देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया है वही संध्या आरती में इन लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है इस दौरान मां जगदंबे के जयकारे से पूरा इलाका गूंजता रहा मुख्यालय स्थित दूरदराज के इलाकों में बनाए गए भव्य पूजा पंडालों में विधिवत पूजा अर्चना को लेकर पूजा कमिटी के सदस्य काफी सक्रिय रहे। शारदीय नवरात्र के चौथे दिन रविवार को देवी के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना की गई भक्तों ने अपने घरों एवं मंदिरों में देवी की आराधना की गई भक्तों ने अपने घरों एवं मंदिरों में देवी की आराधना की खासकर शाम में आसपास की महिलाओं में आकर दीप प्रज्वलित की और प्रार्थना की। वैदिक सोनू झा ने बताया कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा,आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं। इनके तेज और प्रकाश से दसों दिखाएं प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। मां की आठ भुजाएं हैं।अतःये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है। मां कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।