विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :
इस वर्ष नवरात्रि में चतुर्थी तिथि का क्षय और नवमी तिथि में वृद्धि होने के कारण लोगों के मन में असमंजस है कि वो अष्टमी और नवमी का व्रत किस दिन करें
न्यूज़ डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज़)। देश भर में नवरात्रि का धूम है। आज सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जा रही है। वहीं अष्टमी को लेकर लोगों के मन में तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इस वर्ष नवरात्रि में चतुर्थी तिथि का क्षय और नवमी तिथि में वृद्धि होने के कारण लोगों के मन में असमंजस है कि वो अष्टमी और नवमी का व्रत किस दिन करें। दरअसल, हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि के अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व है। अष्टमी के दिन भक्त माँ महागौरी की तो नवमी तिथि को माँ सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा पाठ की जाती है। वहीं अष्टमी के किस दिन मनाई जाएगी इसको लेकर लोगों के मन में कई सवाल है। ज्योतिषाचार्य की मानें तो इस साल अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन मनाई जाएगी। इसकी सबसे बड़ी वजह तिथियों का घटना बढ़ना है। दरअसल, अष्टमी का प्रारंभ 10 अक्टूबर को दोपहर 12.30 से होगा। वहीं हिंदू शास्त्रों में सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि का व्रत रखना मना है ऐसे में अष्टमी और नवमी का व्रत 11 अक्टूबर को रखा जाएगा। अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024, को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होगी और 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। अष्टमी-नवमी के दिन राहुकाल की बात करें तो 11 अक्टूबर को राहुकाल सुबह 10 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। महाष्टमी तिथि, देवी उपासकों के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इसी तिथि को प्राचीन काल में भगवती भद्रकाली का प्रकट होना बताया गया है। अष्टमी तिथि को दुर्गा और नवमी तिथि को मातृका तथा दिशाओं की पूजा करने से साधक को अर्थ प्राप्त होता है। महाष्टमी का दिन देवी भद्रकाली और अन्य देवियों के पूजन का विशेष समय होता है। इस दिन उपवास और विधिपूर्वक पूजन करने से साधक को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और वह जीवन में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति करता है। यह तिथि शक्ति, साहस और विजय का प्रतीक मानी जाती है और जो इस दिन देवी का सच्चे मन से पूजन करता है, उसे चिरकाल तक देवताओं के समान आनंद की प्राप्ति होती है।