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Post: एनडीए की बैठक में नहीं दिखा राजपूतों का बड़ा चेहरा

एनडीए की बैठक में नहीं दिखा राजपूतों का बड़ा चेहरा

विशेष ब्यूरो बिहार की रिपोर्ट :

बिहार में ‘राजपूत’ जाति के 28 विधायक और 5 मंत्री, फिर भी एनडीए की बैठक में नहीं दिखा राजपूतों का बड़ा चेहरा, जानिए सियासत में कितने फिट ‘बाबू साहेब’

न्यूज़ डेस्क, राजधानी पटना

दिवाकर पाण्डेय

– अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज़)। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अब कुछ महीने ही शेष बचे हैं। इसके मद्देनजर सभी राजनीतिक पार्टियाँ तैयारियों में जुट गयी है। खासकर एनडीए की बात करें तो सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी ने अपना चुनावी आगाज कर दिया है। केन्द्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के चाणक्य कहे जानेवाले अमित शाह दो दिवसीय दौरे पर बिहार आये। जहाँ संगठन को मजबूत करने सहित कई कार्यक्रम में शामिल भी हुए। इसके बाद अमित शाह ने मुख्यमंत्री आवास में एनडीए के घटक दलों की बैठक की। जिसमें चुनावी रणनीति पर चर्चा की गयी। बिहार में चुनाव की बात करें तो बिना जातीय समीकरण के राजनीति संभव नहीं हैं। मंत्री मंडल के विस्तार की बात हो या संगठन में प्रतिनिधित्व का। जातीय समीकरण का हमेशा ख्याल रखा जाता है। लेकिन एनडीए की बैठक के बाद जो तस्वीर सामने आई। वह वास्तव में चौंकानेवाली है। एनडीए के बड़े चेहरे में राजपूत जाति का एक भी बड़ा चेहरा दिखाई नहीं दिया। इसमें ब्राहमण के दो नेता, भूमिहार जाति से तीन नेता दिखाई दिए। लेकिन राजपूत का एक भी बड़ा नेता दिखाई नहीं दिया। यह स्थिति तब है जब बिहार विधानसभा में राजपूत जाति के 28 विधायक हैं। वहीँ नीतीश कैबिनेट में राजपूत जाति के 5 मंत्री हैं। जातीय सर्वे के मुताबिक बिहार में राजपूतों की आबादी 3.45 फीसदी हैं। बता दें की 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 28 राजपूत विधायक जीतकर आए हैं, जबकि 2015 में 20 राजपूत विधायक जीते थे। पिछली बार के मुकाबले इस बार आठ राजपूत विधायक ज्यादा जीते हैं। बीजेपी ने इस बार 21 राजपूतों को टिकट दिया था, जिनमें से 15 लोग चुनाव जीते हैं। जेडीयू के 7 राजूपत प्रत्याशियों में से महज 2 ही जीत सके है। वहीं दो वीआईपी के टिकट पर जीते हैं, जिसमें राजू सिंह और सवर्णा सिंह शामिल थे। इस तरह से एनडीए के 29 टिकट में से 19 राजपूत विधानसभा पहुंचे हैं। जबकि महागठबंधन की बाते करे तो तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने इस बार 18 राजपूतों को टिकट दिया था, जिनमें से महज 8 उम्मीदवार ही जीत सके हैं। आरजेडी ने इस बार 8 राजपूतों को टिकट दिया था, जिनमें से सात उम्मीदवार जीते हैं। कांग्रेस के 10 में से एक राजपूत को ही जीत मिली है। इसके अलावा एक निर्दलीय राजपूत विधायक ने जीत दर्ज की है। बता दें कि पिछले चुनावों में बीजेपी के 9, आरजेडी के 2, जेडीयू के 6 और कांग्रेस से तीन राजपूत विधायक जीते थे। ऐसे में बीजेपी और आरजेडी में राजपूतों की जीत में भी इजाफा हुआ है तो जेडीयू में कमी आई है।

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