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Post: मक्का का बेहतर कीमत नही होने से किसान हताश

मक्का का बेहतर कीमत नही होने से किसान हताश

किसान उत्पादित मक्के का वाजिव कीमत नहीं मिलने से हताश हैं, शुरुआती दौड़ में जहां कीमत 2800 से 2600 रुपए थीं , वहीं  अभी मक्का का मूल्य 1600 रुपये ही मिल रहा है

मिथिलेश झा, विशेष संवाददाता

-अमिट लेख

वीरपुर (सुपौल)। पीला सोना यानी मक्का का बेहतर कीमत नही मिलने के कारण मक्के का बेहतर उत्पादन करने वाले सीमावर्ती क्षेत्र के किसानो हताश  होने लगे हैं। मालूम हो कि सुपौल जिले के कुल मक्का उत्पादन का बसन्तपुर प्रखंड अकेले 40 % प्रतिशत उत्पादन करता रहा हैं। जो इस सीजन में 60 से 70 प्रतिशत तक पहुचने का अनुमान लगाया जा रहा है। बेहतर उत्पादन से उत्साहित दिख रहे किसानों को  इसका वाजिव दाम नही मिलने से काफी निराशा हुई है। किसान उत्पादित मक्के का वाजिव कीमत नहीं मिलने से हताश हैं। शुरुआती दौड़ में जहां कीमत 2800 से 2600 रुपए थीं । वहीं  अभी मक्का का मूल्य 1600 रुपये ही मिल रहा है । इससे पूर्व भी मक्का का बाजार भाव निर्धारित नही किये जाने के कारण  बिचौलियों की इस खरीदारी में  आगे आने और किसानों को मजबूरन बिचौलियों से मक्का बेचने को लेकर सवाल खड़े किए गए थे। स्थिति यह हैं कि यह 1600  से 1650 प्रति क्विंटल का कीमत भी उनको नगद नही मिलता। बल्कि उधार बेचने की मजबूरी है। मक्का खरीद के लिए कोई ट्रेडिंग कम्पनी किसानों से सीधे सम्पर्क नही करती है। बिचौलिए ही मक्का किसानों से खरीदकर ट्रेडिंग कंपनी तक पहुचाती है। कहने को पूर्णिया में मक्का खरीद के लिए कई ट्रेनिग कम्पनी हैं । परन्तु वे सीधे किसान से खरीदारी करने एवं जुड़ने से कतराते हैं।

काफी अधिक लागत लगती है खेती में :

मक्का की खेती में गेहूँ एव अन्य फसल की उपेक्षा काफी अधिक लागत लगती है। पर बेहतर फसल उत्पादन के बाद भी उनको मुनाफा नही होता तो उन्हें भारी निराशा होती है। मेंहनत किसान करते है, लागत किसान लगाते है और मालामाल  बिचौलिए हो रहे हैं। किसानों को उत्पादित मक्का को बेचने के लिए सही बाजार उपलब्ध हो इसके लिए सकारात्मक प्रयास नही हो रहे हैं। कैसे ट्रेडिंग कम्पनी सीधे किसानों से खरीदारी करें और बिचौलिए को दरकिनार किया जाय। इस दिशा में कोई नीति नही बनाई जा रही हैं। जब तक किसानों को उत्पादित मक्का को बेचने के लिए बाजार उपलब्ध कराने की व्यवस्था नही की जाती हैं। किसानों को लाख मेंहनत के बाद भी निराशा ही हाथ लगनी तय है। किसानों में भोला उपराजिया, कशिंद्र गोठिया, प्रदीप पंडित, रामानंद यादव सहित अन्य कई लोगो ने बताया कि इस बार यह मक्के की खेती इन्हे काफी नुकसान कर रहा है। सरकार को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। जिससे किसानों का जान बच सके। इस सम्बंध में पूछे जाने पर एएसओ कुंदन कुमार कहते हैं  कि  कृषि विभाग किसानों को बेहतर बीज, उर्वरक एव कीटनाशक  उपलब्ध कराने की व्यवस्था कर सकती है। उनके लिए बाजार की व्यवस्था करना कृषि विभाग के हाथ में नहीं है।

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