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Post: पत्रकारों पर छापेमारी व गिरफ्तारी के खिलाफ भाकपा-माले ने आरा में निकाला प्रतिवाद मार्च

पत्रकारों पर छापेमारी व गिरफ्तारी के खिलाफ भाकपा-माले ने आरा में निकाला प्रतिवाद मार्च

पत्रकारों की अविलंब रिहाई है : माले!

केंद्र की मोदी सरकार देश में केवल अपना गुणगान करने वाला चारण मीडिया चाहती है, जिसे लोकप्रिय तौर पर गोदी मीडिया कहा जा रहा है

न्यूज़ डेस्क, भोजपुर ब्यूरो

अरुण कुमार ओझा, अनुमंडल ब्यूरो

–  अमिट लेख
आरा/भोजपुर। प्रेस/मीडिया पर सत्ता प्रायोजित हमले व न्यूज क्लिक व जनपक्षधर पत्रकारों पर छापेमारी व गिरफ्तारी के खिलाफ भाकपा-माले के राष्ट्रव्यापी विरोध सप्ताह के तहत आज आरा पूर्वी रेलवे गुमटी से प्रतिवाद मार्च निकाला गया। यह प्रतिवाद मार्च मिल रोड नवादा चौक होते हुए आरा रेलवे स्टेशन पहुंचा। इस प्रतिवाद मार्च के दौरान लोगों ने पत्रकारों पर हमला करना बंद करो, लोकतंत्र पर हमला करना बंद करो, देश में तानाशाही नहीं चलेगी, विरोध की आवाज को कुचलना बंद करो आदि नारे लगा रहे थे। प्रतिवाद मार्च के बाद आरा रेलवे स्टेशन परिसर में सभा आयोजित की गई। सभा की अध्यक्षता आरा नगर सचिव दिलराज प्रीतम ने की। प्रतिवाद मार्च बाद के सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा-माले नेताओं ने कहा कि दिल्ली में कई पत्रकारों के घरों पर छापेमारी और उन्हें हिरासत में लिए जाने की घटना निंदनीय है। मोदी सरकार द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता पर हमला जारी है। जिन पत्रकारों के घरों पर दिल्ली पुलिस द्वारा छापा मारा गया है, वे दशकों से निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं और हमेशा से ही सत्ता को आईना दिखाने का काम करते रहे हैं। ऐसे पत्रकारों पर छापेमारी करके केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस न केवल इन पत्रकारों को जनसरोकारों के पक्ष में खड़े रहने के लिए धमकाने की कोशिश कर रही है, बल्कि वह, इनसे इतर भी जो पत्रकार जनसरोकारों से जुड़े हैं, उन्हें भी भयाक्रांत करने की कोशिश कर रही है। इससे साफ है कि केंद्र की मोदी सरकार देश में केवल अपना गुणगान करने वाला चारण मीडिया चाहती है। जिसे लोकप्रिय तौर पर गोदी मीडिया कहा जा रहा है। केंद्र की मोदी सरकार बीते दिनों के घटनाक्रम से भयभीत है और उसी भय में बदले की कार्यवाही के तौर पर इन पत्रकारों को निशाना बनाया गया है। विपक्षी पार्टियों के इंडिया गठबंधन के रूप में संगठित होने, उसके बाद पुरानी पेंशन स्कीम के पक्ष में कर्मचारियों का दिल्ली में भारी संख्या में जुटना और बिहार में जातीय जनगणना के परिणामों की घोषणा, वो कारक हैं। जिसके चलते केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह हताश और बदहवास हो गयी है। पत्रकारों, एक्टिविस्टों और स्टैंड अप कॉमेडियनों पर छापेमारी, केंद्र सरकार की इसी हताशा और बदहवासी की अभिव्यक्ति है। पहले से ही विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 180 देशों में 161 वें स्थान पर है। केंद्र सरकार की इस कार्यवाही के बाद दुनिया भर में प्रेस स्वतंत्रता के मामले में देश की साख और रसातल को जाएगी। हम तत्काल मीडिया की स्वतंत्रता पर हमले की इस कार्यवाही को रोके जाने की मांग करते हैं। धरातल की हलचल के संदेशों को सामने लाने वाले संदेशवाहक मीडिया का शिकार करने के बजाय, मोदी सरकार को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए और इस मुल्क में बीते साढ़े नौ साल से बरपाई गयी तबाही के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए। प्रतिवाद मार्च में भाकपा-माले केंद्रीय कमेटी सदस्य राजू यादव, राज्य कमेटी सदस्य विजय ओझा, सुधीर सिंह, क्यामुद्दीन अंसारी, शिवप्रकाश रंजन, शब्बीर कुमार, रामानुज जी, बिष्णु ठाकुर, नंदजी राम, अमित कुमार बंटी, बालमुकुंद चौधरी, निरंजन केसरी, पप्पू कुमार राम, अभय कुशवाहा, अजय गांधी, मिल्टन कुशवाहा, रौशन कुशवाहा, संतविलास राम, कामता बिंद, भीम पासवान, गायत्री देवी थी।

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