हमारे प्रादेशिक विशेष ब्यूरो दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :
गठबंधन धर्म में परिवर्तन के दिन से ही राजनीतिक गलियारे में यह सवाल जवाब मांग रहा है..
न्यूज़ डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना, (विशेष ब्यूरो)। गठबंधन धर्म में परिवर्तन के दिन से ही राजनीतिक गलियारे में यह सवाल जवाब मांग रहा है… अब इनका क्या होगा? इनका…यानी आरसीपी सिंह जैसे नेताओं का जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपदस्थ करने के लक्ष्य के साथ जदयू से अलग हुए थे। लोकसभा चुनाव लड़ने का मंसूबा भी था। लेकिन, नीतीश के फिर से राजग में शामिल होने के बाद मंसूबा धरा रह गया। कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आंख-कान रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह जब पिछले साल 11 मई को भाजपा में शामिल हुए तो उनका तेवर बदल गया था। उन्होंने कहा था- नीतीश कुमार को अंग्रेजी के ‘सी’ अक्षर से बहुत प्यार है। सो वे क्राइम, करप्शन और चेयर से बहुत प्यार करते हैं। सिंह ने इसके अलावा भी कई आरोप लगाए। आरसीपी नालंदा या मुंगेर से लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन, अभी ये दोनों सीटें जदयू के पास हैं। जदयू में रहने के समय पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणवीर नंदन भी नीतीश के करीबी रहे। जदयू से अलग होकर भाजपा में शामिल हुए तो उन्होंने कहा- जदयू बिना जनाधार की पार्टी है, जो बिहार पर शासन कर रही है। नंदन भाजपा नेताओं की उस कतार में शामिल हैं, जिनके मन में पटना साहिब से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा है। जदयू के नेता प्रमोद चंद्रवंशी भाजपा में इस लक्ष्य के साथ शामिल हुए थे कि लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बन जाएंगे। विधानसभा चुनाव में वह जदयू के उम्मीदवार भी रह चुके हैं। पूर्व विधायक ललन पासवान ने भी उम्मीदवारी की आस में भाजपा का हाथ पकड़ा। हालांकि, उनका मामला अलग है। ललन सासाराम से लोस चुनाव लड़ना चाहते हैं। यह भाजपा की सीट है। इसी सीट के एक अन्य दावेदार पंकज राम भी जदयू छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। जदयू के पूर्व प्रवक्ता प्रगति मेहता जाति आधारित गणना में गड़बड़ी का आरोप लगाकर अलग हुए। भाजपा में शामिल हुए। मन में मुंगेर लोकसभा चुनाव था। वह 2014 में राजद टिकट पर उस क्षेत्र से चुनाव लड़े थे। जदयू शिक्षा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डा. कन्हैया सिंह भाजपा में शामिल हुए तो उन्हें यहां भी शिक्षा प्रकोष्ठ का संयोजक बनाया गया। इन्हें आरसीपी के करीबी लोगों में गिना जाता है। नीतीश के राजग में शामिल होने पर डा. सिंह की टिप्पणी है : अब राज्य का विकास तेज गति से होगा। जदयू के पूर्व विधायक राजीव रंजन भाजपा में आए और कुछ साल बाद लौट भी गए। वह भाजपा में प्रवक्ता थे। जदयू में भी उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर वही पद दिया गया। वे नालंदा से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। इन पर गठबंधन में बदलाव का असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि नालंदा के बारे में नीतीश कुमार को ही निर्णय करना रहता है।