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Post: लालू के अहंकार ने दिया इंडिया ब्लाॅक को झटका

लालू के अहंकार ने दिया इंडिया ब्लाॅक को झटका

विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट : 

बिहार में लोक सभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद इंडिया गठबंधन में हार की समीक्षा की मांग तेज हो गई है

न्यूज डेस्क, राजधानी पटना

दिवाकर पाण्डेय

– अमिट लेख
पटना, (ए. एल. न्यूज़)। बिहार में लोक सभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद इंडिया गठबंधन में हार की समीक्षा की मांग तेज हो गई है। इस हार के लिए सबसे बड़ा फैक्टर नीतीश कुमार को माना जा रहा है। नीतीश कुमार ने पिछले साल जिस तरह विपक्षी एकता की बुनियाद रखी थी, उसे तहस-नहस करने के लिए लालू प्रसाद यादव को जिम्मेवार ठराया जा रहा है। तेजस्वी यादव ने लालू की गैरमौजूदगी में 2020 में आरजेडी की जो जमीन तैयार की थी, उसे भी खिसकाने में किसी और की नहीं, बल्कि उनके पिता लालू यादव की ही भूमिका दिखाई देती है।

विधान परिषद के पूर्व सदस्य और राजनीतिक चिंतक प्रेम कुमार मणि कहते हैं- ‘लालू जी ने ‘इंडिया’ को धोखा दिया। बिहार में लालू यादव ने ‘इंडिया’ मोर्चे को अपनी उपस्थिति से तहस-नहस कर दिया। लालू ने कांग्रेस को तो नुकसान पहुंचाया ही, तेजस्वी का राजनीतिक भविष्य भी गड़बड़ कर दिया। अगले साल विधानसभा चुनाव है। नतीजे का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल नहीं है. 2020 के विधानसभा चुनाव में लालू जी अनुपस्थित थे। लेकिन दूर बैठ कर भी लंगड़ी मार दी थी। कांग्रेस 50 सीटें चाह रही थी। लालू जी ने उसे 70 दे दी। एनडीए की जीत केवल 12000 वोटों से हुई। लालू जी राजनीति का साइन बोर्ड लगा कर कुछ और करते हैँ. वे तेजस्वी की ताकत भी हैँ और सबसे बड़ी कमजोरी भी। बुढापे की दहलीज पर पहुंच चुके नीतीश कुमार ने भाग-दौड़ कर ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, हेमंत सोरेन, शरद यादव, उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं को एक मंच पर आने के लिए मना लिया। ममता बनर्जी की सलाह पर कांग्रेस की इच्छा के विरुद्ध पटना में बैठक हुई। देश के 17 विपक्षी दलों के नेता बैठक में शामिल हुए। चार्टर्ड प्लेन से पटना का एयरपोर्ट पट गया। सबको एकजुट करने में नीतीश की भूमिका की सबने सराहना की. पर, लालू ने अपना खेल कर दिया। नीतीश को भी शायद इसकी उम्मीद तब नहीं रही होगी, क्योंकि वे उस वक्त लालू यादव की पार्टी आरजेडी के साथ बिहार में सरकार चला रहे थे। भरी महफिल में लालू ने कह दिया कि राहुल गांधी दूल्हा बनेंगे और हम सभी बाराती। बात तो उन्होंने राहुल की शादी के बहाने कही, लेकिन वहां जुटे राजनीति के माहिर खिलाड़ियों ने भांप लिया। नीतीश पर क्या गुजरी होगी, यह तो अब उनकी पार्टी के सीनियर लीडर केसी त्यागी ने ही उजागर कर दिया है। त्यागी बताते हैं कि जिस इंडिया ब्लाक ने नीतीश कुमार को संयोजक बनाने में आपत्ति थी, वह अब उन्हें पीएम पद ऑफर कर रहा है. यानी लालू ने नीतीश को बिदकाने का बीजारोपण पहली बैठक में ही कर दिया था। संयोजक के सवाल पर ही नीतीश ने इंडिया ब्लाक को अलविदा भी कहा था। लालू यादव की दूसरी गलती लोकसभा चुनाव के दौरान दिखी, जब अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर पप्पू यादव पूर्णिया की एक अदद सीट मांगने लालू दरबार में पहुंचे। लालू ने तब मना नहीं किया, लेकिन लंगड़ी मार दी। ‘बिहार में पूर्णिया से निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव की जीत राजद पर सबसे भारी है। यह तेजस्वी यादव की व्यक्तिगत हार है। तेजस्वी ने वहां पप्पू को हराने के लिए यह तक कह दिया था कि अगर आप राजद को वोट नहीं देना चाहते हैं तो जदयू को दे दीजिए, लेकिन किसी निर्दलीय को न दे। प्रकारांतर से उन्होंने जदयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा का समर्थन कर दिया था। फिर भी पप्पू जीत गए। यह पप्पू की बड़ी जीत और राजद के अहंकार की हार है।

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