जिला ब्यूरो नसीम खान “क्या” की रिपोर्ट :
बाघों के आशियाने पर्यावरण जंगल संरक्षण की छेड़ी गई मुहिम
न्यूज़ डेस्क, बगहा पुलिस जिला
नसीम खान “क्या”
– अमिट लेख
बगहा, (ए.एल.न्यूज़)। सोमवार को विश्व टाइगर डे वाल्मीकिनगर स्थित वन सभागार में स्कूली बच्चों संग मनाया गया। बतादें की इसकी की टाईगर डे की शुरुआत 2010 में की गई थी।
बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व ने बाघों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर देश के 6 राज्यों को पीछे छोड़ कीर्तिमान स्थापित किया है। टाइगर सेंसस के बाद गत वर्ष वीटीआर को देशभर के शीर्ष 5वें स्थान का गौरव प्राप्त हुआ और पीएम मोदी ने भी सम्मानित किया।
हालांकि, उस वक्त यहां बाघों की संख्या 30 से 35 के करीब थी, लेकिन आज यहां बाघों की तादाद में निरंतर बढ़ोतरी के बाद अब यह आंकड़ा 60 के करीब जा पहुंचा है। देश में बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया। उस समय देश में मात्र 8 अभयारण्य थे।
लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या 53 हो चुकी है। इन्ही अभयारण्य में यूपी और नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व भी शामिल है। यहां रॉयल बंगाल टाइगर पाए जाते हैं। पड़ोसी देश नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से सटे नारायणी गंडक नदी तट पर करीब 900 वर्ग किलोमीटर में फैले वीटीआर का इलाका इंडो नेपाल सीमा के वाल्मीकिनगर से बेतिया तक है। इसे दो डिवीजन और 8 वन क्षेत्र में बांटा गया है। बाघों के संरक्षण को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। स्कूली छात्रों के साथ साथ जनसहभागिता की कवायद तेज है। खासतौर पर गन्ना किसानों से सहयोग को लेकर इको विकास समिति का गठन किया गया है और तो और यहां आने वाले सैलानियों से भी बाघों को बचाने की अपील की जा रही है। तभी तो स्लोगन दिया गया है ”मुझे फंदे से बचाओ … जियो और जीने दो…क्योंकि बाघ हैं तो आप हैं..” बतातें चलें कि वाल्मीकिनगर स्थित वन सभागार में स्कूली बच्चों संग वन विभाग ने एक कार्यक्रम आयोजित कर टाईगर डे मनाया। इस कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण से सम्बंधित जानकारियां दी गई। सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य डी मिश्रा,पर्यावरणविद व समाजसेवी मनोज कुमार, स्थानीय नदी घाटी योजना उच्च विद्यालय की सहायक शिक्षिका श्रीमती गुप्ता समेत वन विभाग के डीएफओ आतिश कुमार ने बच्चों व उपस्थित वनकर्मियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि स्वच्छ पर्यावरण के लिए बाघ का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि विलुप्त हो रहे बाघो को बचाने के लिए सबसे पहले रूस के सन पीटर्सबर्ग में 10 से 12 देशों ने एक कार्यक्रम से आगाज किया था। लेकिन अब इस कार्यक्रम में बहुत से देश शामिल होकर इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। बतादें की कार्यक्रम की शुरुआत में बच्चों को बाघ के ऊपर एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म दिखाई गई जिसमें बाघों के विलुप्त और उसके संरक्षण के बारे में चल रहे मुहिम की जानकारियां दी गई। कार्यक्रम के दौरान वीटीआर के वन प्रमंडल 2 में वन कर्मियों के अच्छे कार्यों को देखते हुए प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर डीएफओ आतिश कुमार, प्रशिक्षु डीएफओ, रेंजर राजकुमार पासवान, फॉरेस्टर प्रवीण कुमार समेत बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं व कई गणमान्य लोग शामिल हुए।