चमकी बुखार एक रहस्यमय रोग है जो बिहार के मुजफ्फरपुर और उसके आसपास के कुछ जिलों में छोटे बच्चों को होता है
प्रखंड विकास पदाधिकारी चंद्रगुप्त बैठा की अध्यक्षता में चमकी बुखार पर जागरूकता फैलाने के लिए एक बैठक आयोजित की गई
रिपोर्ट : ठाकुर रमेश शर्मा
– अमिट लेख
रामनगर, (प. चम्पारण)। प्रखंड कार्यालय के सभागार में प्रखंड विकास पदाधिकारी चंद्रगुप्त बैठा की अध्यक्षता में चमकी बुखार पर जागरूकता फैलाने के लिए एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में दूसरे विभागों के अधिकारियों ने भी भाग लिया। अपने संबोधन में श्री बैठा ने बताया कि चमकी बुखार एक रहस्यमय रोग है जो बिहार के मुजफ्फरपुर और उसके आसपास के कुछ जिलों में छोटे बच्चों को होता है।
इसमें रोगी के शरीर में झटके आते हैं जिसे स्थानीय बोली में ‘चमकी’ कहा जाता है। आयुर्विज्ञान की भाषा में इसे ‘एक्यूट एनसेफ्लाइटिस सिंड्रोम’ या ‘हाइपोग्साइसीमिक एनसेफ्लोपैथी’ कहा जाता है। यह बीमारी लीची बागानों के बहुतायत वाले इलाकों में और लीची पकने के मौसस में फैलती है। अधपकी लीची में मौजूद एक टॉक्सिन कुपोषित बच्चों के लिए घातक होता है। जबकि, यह टॉक्सिन स्वस्थ्य मनुष्य को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। चमकी बुखार से हर वर्ष सैकड़ों बच्चों की मृत्यु हो जाती है। इससे प्रभावित होने वाले बच्चों में से अधिकांश 1-15 वर्ष आयु के होते हैं। प्रायः यह बीमारी सर्वाधिक जून की चरम गर्मी के महीने में फैलती है जब बिहार के लीची बागानों में लीची पक रही होती है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर चंद्रभूषण ने लक्षण बताते हुए कहा की चमकी बुखार की चपेट में आने वाले बच्चे ज्यादातर 1-15 साल आयु-वर्ग के होते हैं। बच्चा उल्टी करता है, उसे बुखार आता है। बुखार कभी पहले या कभी अन्य लक्षणों के प्रकट होने के बाद भी आ सकता है। सिर और पूरे शरीर में दर्द होता है । अचेत होने जैसा महसूस होता है। चलने-फिरने में कठिनाई होती है। शरीर में और सिर में झटके लगते हैं और रोगी का मस्तिष्क प्रभावित होता है। बोलने और चीजों को समझने में दिक्कत होती है। मिर्गी जैसे दौरे आने लगते हैं। शरीर ऐंठने लगता है और रोगी कोमा में चला जाता है। अंततः, उसकी मृत्यु हो जाती है।
तीन चेतावनी जरूर याद रखें :
खिलाओ – बच्चों को रात में सोने से पहले जरूर खाना खिलाएं
जगाओ – सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाओ
देखो – कहीं बेहोशी या चमक तो नहीं अस्पताल ले जाओ
बेहोशी या चमकी देखते ही तुरंत एंबुलेंस या नजदीक के गाड़ी से अस्पताल ले जाएं। यदि किसी बच्चे को मस्तिक ज्वर का लक्षण दिखाई दे तो उनके गार्जियन तुरंत अपने नजदीक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर अपने बच्चे को लेकर जाएं जिससे बच्चे की जान बचाई जाए। मौके पर,जीविका बीपीएम,पंचायती राज पदाधिकारी, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, आवास पर्वेक्षक, शिक्षा विभाग प्रतिनिधि, बाल विकास परियोजना से सिडिपीओ पुष्पा कुंआरी मौजूद रही तथा अपनी जागरूकता दिखायीं।
हालांकि आज कल के ऐसे मौसम में रामनगर प्रखंड के गांवों में अधिकांश मामले चेचक(चिकनपॉक्स) का मामला देखने तथा सुनने में आया है जिससे सावधानी रखने की आवश्यकता है क्योंकि यह बीमारी छुआछूत तथा संक्रमण से फैलती है।इसमें नीम के पत्तो का सेवन ज्यादा जरूरी माना जाता है तथा वैदिक दृष्टिकोण से भी इस चेचक की बीमारी को मैया भी कहा जाता है।इसमें साफ सफाई रखने की विशेष आवश्यकता है।