विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :
कांग्रेस विधायक चुनाव आयोग के निरंकुश होने की जताई संभावना
न्यूज़ डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज़)। एक तरफ जहां वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर लोकसभा में बिल पेश कर दिया गया है। वहीं दूसरी ओर इसको लेकर विरोध भी जारी है। लेकिन तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में भी इसका विरोध देखने को मिल रहा है। छात्र राजद के कार्यकर्ता विरोध जता रहे हैं। उनका कहना है की वन नेशन वन इलेक्शन ही क्यों जातिगत गणना आरक्षण के मुद्दे पर परिचर्चा क्यों नही होगी। दरअसल राजभवन से जारी प्रेस रिलीज के बाद टीएमबीयू के कुलपति विश्वविद्यालय अंतर्गत कॉलेजों में वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर परिचर्चा करवा रहे हैं जिसका छात्र राजद के कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया है। कार्यकर्ता पैदल मार्च निकालकर कुलपति आवास तक पहुंचे और आवास का घेराव कर दिया और यहां कुलपति प्रोफेसर जवाहरलाल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। छात्र राजद का कहना है की जब कुलपति वन नेशन वन इलेक्शन पर परिचर्चा करवा रहे हैं तो जातिगत गणना आरक्षण के मुद्दे और धर्मनिरपेक्ष के मुद्दे पर परिचर्चा क्यों नहीं करवा रहे हैं। यहां के कुलपति भाजपा के एजेंडे पर काम करते हैं जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती है। तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा। कुलपति को अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करनी होगी। सिर्फ भाजपा के एजेंडे पर नहीं चलने देंगे।
वहीँ लोक सभा में आज केन्द्र सरकार द्वारा पेश और पारित वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक भारतीय संविधान की मूल भावना के विपरीत है। भागलपुर के विधायक अजीत शर्मा ने इस विधेयक पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस विधेयक (कानून) से भारतीय संघीय ढाँचा के साथ-साथ राज्यों की विधान सभाओं की स्वतंत्रता के लिए एक आसन्न खतरा है। इस विधेयक में चुनाव आयोग को इतनी शक्ति प्रदान की गई है जिससे चुनाव आयोग के निरंकुश होने की संभावना है। ज्ञातव्य हो कि मोदी सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया से सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अलग कर सरकारी वर्चस्व का प्रावधान कर दिया है। जिससे चुनाव आयोग पूरी तरह सत्ता संपोषित हो गया है। यह कानून देश से लोकतांत्रिक व्यवस्था को समाप्त कर तानाशाही थोपने का सरकारी प्रयास है। विधायक श्री शर्मा ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टीयों सहित देश की जनता को इसका पुरजोर विरोध करने की जरूरत है। जिससे देश के लोकतंत्र की रक्षा हो सके।