विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :
नीतीश मतलब सबकी स्वीकार्यता’, राजद-कांग्रेस के लिए बिना बोले दे दिया संदेश
न्यूज़ डेस्क, राजधानी पटना
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
पटना, (ए.एल.न्यूज़)। ‘नीतीश सबके हैं’. कुछ वर्ष पूर्व पटना में नीतीश कुमार के नाम पर लगे पोस्टर में यही लिखा गया था और नीतीश सबके है। इसे नीतीश कुमार ने एनडीए से महागठबंधन तक सबके साथ बिहार में सरकार का नेतृत्व करके साबित भी किया। अब एक बार फिर से अगले वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव होना है तो नीतीश कुमार के नेतृत्व के नाम पर भाजपा नेताओं ने पिछले कुछ दिनों में ना-नुकर वाली बयानबाजी की। फिर क्या था जदयू ने फिर से पोस्टर के सहारे ही भाजपा को इतना सख्त संदेश दे दिया कि अब नीतीश के नाम पर भाजपा राजी-ख़ुशी चुनाव में उतरने को तैयार नजर आ रही है। जदयू के पोस्टर पॉलिटिक्स की शुरुआत से भाजपा अब बैकफुट पर है। नीतीश के नेतृत्व पर समय आने पर विचार करने जैसे भाजपा नेताओं के बोल पर जदयू तुरंत सतर्क हो गई। और फिर से ‘नीतीश मतलब सबकी स्वीकार्यता’ वाला स्लोगन आ गया। यानी नीतीश ने जदयू ने स्लोगन से साफ और सख्त संदेश दे दिया कि अगर उनके नाम पर किसी ने ना-नुकर की तो उनकी स्वीकार्यता सब जगह है। नीतीश को लेकर जदयू के इस संदेश का असर भी तुरंत दिखा और अब भाजपा नीतीश के नेतृत्व में चुनाव में उतरने की बातें करने लगी। दरअसल, नीतीश कुमार एनडीए क नेतृत्व करेंगे या नहीं इसे लेकर भाजपा नेताओं गृह मंत्री अमित शाह, बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल आदि नेताओं के हालिया बयानों ने कन्फ्यूजन पैदा किया। नीतीश के एनडीए से अलग होने की बातें भी होने लगी। तो जदयू ने भाजपा नेताओं को पोस्टर जारी कर अपने लिए रास्ते खुले रहने वाला संदेश भी दे दिया। 22 जनवरी को जदयू द्वारा जारी पोस्टर में लिखा गया- ‘जब बात बिहार की हो, नाम सिर्फ नीतीश कुमार का हो’। सियासी जानकारों की मानें तो जदयू का यह स्लोगन यह बताने के लिए काफी रहा कि नीतीश के लिए हर रास्ता खुला है। वहीं जेडीयू ने अब एक और पोस्टर जारी कर बताया गया है कि ‘नीतीश मतलब सबकी स्वीकार्यता, नीतीश मतलब बिहार का विकास, नीतीश मतलब नौकरी और रोजगार, नीतीश मतलब सामाजिक सुरक्षा की गारंटी, नीतीश मतलब सर्वोत्तम विकल्प इसलिए तो 2025 फिर से नीतीश.’ पोस्टर के सहारे सियासी दबाव की राजनीती में जदयू ने फिर से भाजपा को बैकफुट पर धकेला है। भले ही बिहार विधानसभा चुनाव में अभी करीब 10 महीने का समय शेष हो। लेकिन जदयू ने पहली लड़ाई तो एक तरीके से जीत ही ली है। इसमें ‘नीतीश मतलब सबकी स्वीकार्यता’ वाला स्लोगन एक ओर भाजपा पर दबाव तो दूसरी ओर अन्य विरोधी दलों के लिए खुले स्वागत वाला संदेश भी माना जा रहा है।