



बेतिया से उप संपादक का चश्मा :
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर जी का यह बस जयंती नहीं है. बहुत बड़ा समाजिक आंदोलन बन चुका है : भाकपा-माले
भाजपा और आरएसएस द्वारा संविधान पर लगतार हो रहे हैं हमला : सुनील कुमार राव
अमेरिका के सामने घुटनाटेक नीतियों, और देश को पीछे ले जाने की सांप्रदायिक साजिशों के खिलाफ पूरी ताकत से संघर्ष का संकल्प
न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण
मोहन सिंह
– अमिट लेख
बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। भाकपा-माले ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की 134 वीं जयंती व्यापक स्तर पर मनाने का फैसला किया है, आज सुबह 10 बजे बेतिया ग्रामीण शेखवना में गोष्ठी का आयोजन हुआ। वही 12.30 बजे न्याय मार्च कर जिला समाहरणालय गेट स्थित बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।

शाम 7 बजे आईटीआई बुध्दा कालोनी में जयंती समारोह का आयोजन किया जाएगा। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर जी का यह बस जयंती नहीं मनाया जा रहा है बल्कि बहुत बड़ा समाजिक आंदोलन बन चुका है उक्त बातें भाकपा-माले जिला नेता सुनील कुमार राव ने कहीं. आगे उपरोक्त जगहों पर लोगों को सम्बोधित करते हुए माले जिला नेता सुनील कुमार राव ने कहा कि आज़ादी के बाद नए भारत के निर्माण की बुनियाद हमारे संविधान ने रखी, जिसने स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को आगे बढ़ाते हुए भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में परिभाषित किया। इस ऐतिहासिक दस्तावेज़ के निर्माण में डॉ. भीमराव अंबेडकर की भूमिका केंद्रीय और निर्णायक रही। उन्होंने संविधान के ज़रिए न सिर्फ राजनीतिक स्वतंत्रता सुनिश्चित की, बल्कि सामाजिक न्याय, समता और बंधुत्व जैसे मूल्यों को भी संस्थागत किया। लेकिन, आज मोदी सरकार में भारत की संप्रभुता और लोकतांत्रिक ढांचे पर गहरा संकट मंडरा रहा है। अमेरिका के सामने सरकार की घुटनाटेक नीतियाँ, ट्रंप द्वारा टैरिफ की घोषणा, प्रवासी भारतीयों के साथ अपमानजनक व्यवहार और फ़िलिस्तीन में जारी हिंसा के सवाल पर शर्मनाक चुप्पी – इन सबने भारत की विदेश नीति और स्वाभिमान को दाग़दार किया है। भाजपा का देशभक्ति का चोला पूरी तरह बेनकाब हो चुका है। यह सब भारत की साम्राज्यवाद-विरोधी विरासत के साथ खुला विश्वासघात है। दूसरी ओर, देश के अंदर संविधान पर हर रोज़ हमले हो रहे हैं और देश को “हिंदू राष्ट्र” में बदल देने का चौतरफा उन्माद सुनाई पड़ रहा है। ऐसे में हमें बाबा साहब की वह ऐतिहासिक चेतावनी याद रखनी चाहिए: “अगर हिंदू राष्ट्र सचमुच एक वास्तविकता बन जाता है तो इसमें संदेह नहीं कि यह देश के लिए भयानक विपत्ति होगी, क्योंकि यह स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व के लिए खतरा है। यह लोकतंत्र से मेल नहीं खाता। हिंदू राज को हर कीमत पर रोका जाना चाहिए।” आज यह चेतावनी और अधिक प्रासंगिक हो गई है। जब भाजपा और आरएसएस जैसे संगठन संविधान की जगह मनुस्मृति को स्थापित करना चाहते हैं, तो डॉ. अंबेडकर की वैचारिकी ही हमारा सबसे बड़ा हथियार बनती है। भाकपा-माले नेता सुनील यादव ने कहा कि भाजपा की सरकार लगातार मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों पर हमले कर रही है – तीन तलाक कानून, सीएए–एनआरसी, वक्फ बोर्ड संशोधन – इसके कुछ उदाहरण हैं। लेकिन यह हमला सिर्फ मुस्लिम समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असली निशाना है – भारत के संविधान की बुनियादी संरचना। संघ–भाजपा ने आज डॉ. अंबेडकर को प्रतीक रूप में अपनाने की कोशिश की है। इनके अलावा भाकपा-माले नेता संजय यादव, सुरेन्द्र चौधरी, जवाहर प्रसाद, लिखी साह दिनेश गुप्ता, जय लाल दास, सोना कुवर, जितेन्द्र राम, रामा शंकर राम आदि नेताओं ने भी सभा को सम्बोधित किया।