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8 करोड़ मतदाताओं के विशेष गहन पुनरीक्षण के फैसला के खिलाफ भाकपा माले ने भरी हुंकार

बेतिया से उप-संपादक का चश्मा :

अचानक चुनाव आयोग के महज महीने भर में बिहार के 8 करोड़ मतदाताओं के विशेष गहन पुनरीक्षण के फैसला के खिलाफ भाकपा माले ने भरी हुंकार भरा 

मताधिकार और लोकतंत्र पर हमले के खिलाफ भाकपा माले ने किया विरोध मार्च

भाकपा माले चला रहा है एक माह का मताधिकार बताओ-लोकतंत्र बताओ अभियान

नोटबंदी के बाद अब वोटबंदी नहीं चलेगा : माले

7करोड़ 90 लाख मतदाताओं के वैधानिकता को संदिग्ध करार देना संविधान और लोकतंत्र पर हमला-माले

न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण 

मोहन सिंह

– अमिट लेख

बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। अचानक चुनाव आयोग द्वारा महज महीने भर में (26 जुलाई तक) बिहार के 8 करोड़ मतदाताओं के विशेष गहन पुनरीक्षण के माध्यम से हो रहे मताधिकार और लोकतंत्र पर हमले के खिलाफ भाकपा माले ने मझौलिया में विरोध मार्च कर सभा किया। भाकपा माले नेताओं ने कहा कि मताधिकार बचाओ – लोकतंत्र बचाओ अभियान 31 जुलाई तक चलेगा।  सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा माले अंचल सचिव जवाहर प्रसाद ने कहा कि चुनाव आयोग के एक नोटिस पर बिहार के 7 करोड़ 90 लाख मतदाताओं के वैधानिकता को संदिग्ध करार देना संविधान और लोकतंत्र पर हमला है। यह सभी वोटर संदिग्ध है तो एक साल पहले इन्हीं मतदाताओं के वोट से बनी मोदी सरकार कैसे वैध है, आगे कहा कि चुनाव आयोग का नियति ठीक नहीं है, जैसे मतदाताओं के विशेष गहन पुनरीक्षण में जो 80℅ गरीबों के पास है, आधार कार्ड, राशन कार्ड, मनरेगा कार्ड जैसे सहज उपलब्ध दस्तावेजों से इतर ऐसे दस्तावेज मांगे गए हैं जो आमतौरपर गरीबों के पास नहीं होते और कुछ दस्तावेज ऐसे हैं जिन्हें इतने कम समय में सरकार से हासिल करना संभव नहीं है। टाईमिंग के पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब वर्षा, बाढ़ व सघन खेती का समय है और बिहार से रोजी रोटी की तलाश में करोड़ों लोग राज्य से बाहर हैं। ऐसे में चुनाव आयोग और मोदी सरकार की नीयत गरीबों के नाम वोटर लिस्ट से हटाना है, आज वोटर लिस्ट से नाम हटायेगें उसके बाद राशन कार्ड, बृध्दि पेंशन, आदि सभी जनकल्याणकारी योजना से बंचित करेगें। इंकलाबी नौजवान सभा जिला उपाध्याय अफाक अहमद ने कहा कि यह नोटबंदी की तरह ही यह गरीबों की वोटबंदी है। यह गरीबों के वोट देने के संविधान से हासिल अधिकार को छीनने की साजिश है। गरीबों के अधिकार पर हो रहे इतने बड़े हमले के समय उनका वोट हथियाने को आतुर भाजपा – जदयू और यहां तक कि खुद को दलितों की पार्टी कहने वाली लोजपा – हम जैसी पार्टियों की चुप्पी किसी गहरी चुनावी साजिश की ओर इशारा करती है। यह दरअसल गरीबों का नाम वोटर लिस्ट से काटकर येन केन प्रकारेन विधान सभा चुनाव जीतने की एनडीए की गहरी साजिश है। भाकपा माले नेता रिखी साह ने कहा कि गरीबों की वोटबंदी के खिलाफ और उनके मताधिकार और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हमारी पार्टी भाकपा माले 31 जुलाई तक एक महीने भर का अभियान चलाएगी। इसी कड़ी में 9 जुलाई ट्रेड यूनियन के राष्ट्रीय हड़ताल में इस वोटबंदी के खिलाफ गाँव गाँव से मजदूर किसान, छात्र नौजवान, महिला पुरुष हजारों की संख्या में भागीदारी कर चुनाव आयोग और मोदी सरकार तक अपनी बात पहुचाने का काम करेगें। इनके अलावा डाक्टर अनवारूल , जयलाल दास, बिहारी दास आदि लोगों ने भी सभा को सम्बोधित किया।

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