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Post: हरनाटाड़ में सीएम के जनसभा में पहले के बजाय दिखा फीका रंग

हरनाटाड़ में सीएम के जनसभा में पहले के बजाय दिखा फीका रंग

बगहा से हमारे संवाददाता की रिपोर्ट :

जिस थरूहट में पिछले कई चुनावों से या फिर यह कहें की नीतीश कुमार के नाम की आंधी बहा करती थी, बदलो बिहार के नारे यहाँ भी सुनाई देने लगी है

न्यूज़ डेस्क, बगहा पुलिस जिला 

अमिट लेख टीम के साथ जगमोहन काजी

– अमिट लेख

बगहा/हरनाटाड़, (ए.एल.न्यूज़)। तयशुदा कार्यक्रम के तहत अपने प्रत्याशी के समर्थन में सूबे के निर्वतमान मुख्यमंत्री और बिहार विधान सभा चुनाव 2005 के एनडीए का प्रमुख चेहरा नीतीश कुमार आज शुक्रवार को थरूहट क्षेत्र के बदले मिजाज को नियंत्रित करने के निमित्त थरूहट कि राजधानी माने जानेवाले हरनाटाड़ पहुंचे।

फोटो : अमिट लेख

इस चुनावी सभा को सम्बोधित करते हुये बीस वर्षो के दरम्यान अपनी सरकार द्वारा किये गये कार्यों की चर्चा करते हुये नीतीश कुमार ने एक मायने में स्थिति की नज़ाकत को देखते हुये बहुत मामलों में लोक लुभावन अंदाज में जनता के बीच विकास कार्यों के बाबत सफाई देने के अंदाज में भी बोलते दिखे। बताते चलें कि इसबार जिले के बाल्मिकीनगर सीट पर निर्वतमान विधायक को महागठबंधन उम्मीदवार से कड़ा मुकाबला है। जिस थरूहट में पिछले कई चुनावों से या फिर यह कहें की नीतीश कुमार के नाम की आंधी बहा करती थी, बदलो बिहार के नारे यहाँ भी सुनाई देने लगी है। और यहीं कारण प्रमुख भी माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी की स्टार प्रचारक प्रियंका गाँधी के दो दिन पूर्व दिये सम्बोधन से हिल चुके भोले-भाले इस पिछड़े और आदिवासी क्षेत्र में मजबूत हो चुके कांग्रेस की उपस्थिति से सत्तरूढ़ दल की धड़कने अचानक तेज़ हो चुकी है। लिहाजा, निर्वतमान विधायक एक बार फिर से अपनी जीत के दूसरे पड़ाव के बाद अपनी स्वतंत्र उम्मीदवारी के नायाब ब्राम्हस्त्र को भी आजमाने पर मजबूर हैँ, जिसके बूते वे पहलीबार स्वतंत्र उम्मीदवारी कर विधानसभा पहुंचे थे।

हर बार की भाँती आज के इस सीएम सभा में लोगों में ख़ास उत्साह नहीं दिखा। अलबत्ता, उनके बजाय पार्टी कार्यकर्त्ता चाहे नारेबाजी हो या करतलध्वनि में स्वयं को आगे हो माहौल को पक्ष में करते नजर आये। समय साक्षी है, इससे पहले जब भी प्रदेश के मुखिया गाहे–बगाहे इस क्षेत्र में पहुंचे हों आमजन एक मसीहा की तरह उनकी अगुवाई में भिड़े दिखते थे और गगनभेदी नारों से सभास्थल गूंज उठता था। हालांकि, नीतीश कुमार ने सड़क विकास, बिजली सरीखे दर्जनों योजनाओं को धरातल पर उतारने की बात कर लोगों को पुराने दिनों की याद भी दिलाई।

छाया : जगमोहन काजी

लेकिन, आंकड़े सभा स्थल पर क्षेत्र से जुटे अन्य जगहों से आये लोगों की जमघट स्थानीय पिछड़े बिरादरी के थारू और आदिवासी लोगों पर औसत से ज्यादा ही अधिक दिखता प्रतीत हुआ।

झिकरी नदी जो पश्चिम बरवा कला, अमलोरवा से आधे दर्जन गांव को बांटती है 

कमोवेश अबकी बार इस सीट पर चाहे जीत किसी की हो जहाँ निर्वतमान विधायक धीरेन्द्र प्रताप उर्फ़ रिंकू सिंह को आगे के दिनों समाज में अपनी सार्वजनिक भागीदारी दिखाते हुये क्रिया-कलाप में बदलाव करना होगा तो वहीँ पिछले दो चुनावों के दरम्यान विभिन्न जंगली नदियों पर पुल पुलियों, चिकित्सा व्यवस्था और शिक्षा का सही अलख जलाने के लिए विपक्षी उम्मीदवार को कड़ी मेहनत करते हुये सदन में लगातार सवाल उठाने पड़ेंगे। बताते चले विकास का नारा देने वाली सरकार में पार्टी के अपार जनमत का मुख्य सूत्रधार थरूहट क्षेत्र से जुड़े दर्जनों गांव आज भी बरसात में झिकरी नदी सरीखे विभिन्न नदी नालों से पुल पुलिया के आभाव से दो चार होते हुये दुभर भरी जिंदगी जीने के लिए विवश हैँ। जो भी सुदूर गांव से जुड़े लोगों के बीच बढ़ रहे असंतोष का एक प्रमुख कारण है।

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