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नक्शे व निर्माण को नगर निगम ने किया अस्वीकृत, फिर भी भवन बनकर हुआ तैयार
भवन के सामने व बगल का मार्ग ऊंचा कर पीछे के घरों के जल निकासी पर लगा ग्रहण
नगर निगम के जमीन को भी अतिक्रमित करने का लगा आरोप
✍️ सह संपादक
– अमिट लेख
बेतिया, (मोहन सिंह)। बेतिया नगर परिषद से भले ही नगर निगम बनाया जा चुका है परन्तु व्यवस्थाएं अभी भी पुरानी बनी हुई है। नगर निगम क्षेत्र में आज भी हजारों भवन निर्माण का कार्य जारी है। परन्तु आज भी पूर्व के व्यवस्थाओं से ग्रसित निगम भवन निर्माण करने से पूर्व नक्शा की अनुमति और अनापत्ति पत्रों की जांच करने में असफल है।
जबकि कोई भी निर्माण कार्य शुरू करने से पहले नक्शा और अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना आवश्यक होता है और यदि कोई ऐसा ना करें तो नगर निगम जांच करते हुए कार्य पर रोक लगाती है। ऐसा ही एक मामला बेतिया के वार्ड नंबर 14, गंज नम्बर 2, लादू राम गोला अंतर्गत एक सुप्रसिद्ध प्रतिष्ठित डॉ दिलीप कुमार के नवनिर्माण हो रहे बहुमंजिली इमारत का है। जिसको लेकर स्थानीय वार्ड पार्षद व वार्ड जमादार अनिल कुमार ने लिखित शिकायत नगर आयुक्त शंभू कुमार को किया।
जिसके उपरांत जांच कराया गया तो भवन निर्माण में कई तरह के नियमों को ताख पर रखकर भवन का निर्माण जारी रखने की बात सामने आई। साथ ही डॉ दिलीप कुमार के द्वारा नक्शा स्वीकृत करने का जो आवेदन नगर निगम को दिया गया था उसको निगम के वास्तुविद और वास्तु अभियंता के द्वारा अनुशंसित कर कार्यालय को पारित करने हेतु भेजी गई थी। जिसके जांच के पश्चात कई नियमों के उल्लंघन को पाते हुए नगर आयुक्त ने वास्तुविद प्रत्युषमणि और वास्तु अभियंता प्रभात कुमार पांडेय दोनों से नियम विरूद्ध बहुमंजिली भवन के नक्शे को तैयार करने व अनुशंसित करने के आरोप में तीन दिनों के अंदर “क्यों नहीं निबंधन रद्द करने की कार्यवाही की जाए” स्पष्टीकरण मांगा गया। मांगे गए स्पष्टीकरण में नगर आयुक्त ने साफ साफ लिखा है कि बिल्डिंग बायलाॅज 2014 के विरूद्ध नक्शा तैयार कर अनुशंसित किया गया है। वहीं नगर आयुक्त शंभू कुमार ने डॉक्टर दिलीप कुमार को पत्र जारी कर भवन निर्माण की अनुमति नहीं देने और नक्शा को अस्वीकृत किए जाने की जानकारी दी है। पत्र में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि 8 फीट चौड़ी सड़क पर बहुमंजिली भवन का निर्माण नहीं हो सकता है। बावजूद इसके डॉ साहब का बहुमंजिली भवन पूर्ण रूप से बनकर सभी नियमों को ताक पर रखकर तैयार हो चुका है। डॉ साहब का जो भवन तैयार किया गया है उससे ना सिर्फ नगर निगम के नियमों व शर्तों का उल्लंघन हुआ है बल्कि उस मार्ग से अंदर के तरफ व भवन के पीछे बसे लगभग आधा दर्जन से भी अधिक घरों के जल व नाली निकासी की समस्या को बढ़ा दिया गया है क्योंकि डॉ साहब के नवनिर्मित भवन के सामने व बगल के मार्ग को भरकर पीछे के वनिस्पत अत्यधिक ऊंचा कर दिया गया है। साथ ही नगर पार्षद ने नगर निगम की सार्वजनिक जमीन पर भी अतिक्रमण कर भवन का निर्माण कराने का आरोप लगाया है। 8 फीट की गली में प्रथम मंजिल से लेकर तीसरे मंजिल का बालकनी भी गली के रास्ते में निकाल कर रास्ता को संकीर्ण बना दिया गया है जो कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में मुश्किल खड़ा कर सकता है। नगर निगम के नगर आयुक्त के द्वारा नक्शा व भवन निर्माण अस्वीकृत करने के पहले ही नियम विरुद्ध भवन का निर्माण पूर्ण हो जाना कई तरह के सवालों को जन्म देता है और निगम के कार्य शैली व व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह बनाता है। अब देखना यह होगा कि नगर निगम डॉ दिलीप कुमार के अस्वीकृत नक्शा और भवन निर्माण होने के बावजूद बनकर तैयार बहुमंजिली भवन को लेकर क्या कार्यवाही करता है।