रक्तदान के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं अमित सिंह भुटाली, जरूरत पड़ने पर कर सकते हैं संपर्क
रविवार बीते दिवस इन्होंने 5वी बार रक्तदान किया, इनका कहना है कि रक्तदान महादान होता है…धीरे-धीरे लोग इसका महत्व समझने लगे हैं और रक्तदान के प्रति जागरूकता का माहौल भी देखने को मिल रहा है
✍️ अरुण कुमार ओझा, अनुमंडल ब्यूरो
– अमिट लेख
आरा, (विशेष)। एक बार फिर से जमालपुर निवासी अमित सिंह भुटाली ने एक नया आयाम लिखा है। साथियों..ये कारवां आगे बढ़ते ही जायेगा जब तक हम जिंदा है ये आगे बढ़ते ही जायेगा। रविवार बीते दिवस इन्होंने 5वी बार रक्तदान किया, इनका कहना है कि रक्तदान महादान होता है…धीरे-धीरे लोग इसका महत्व समझने लगे हैं और रक्तदान के प्रति जागरूकता का माहौल भी देखने को मिल रहा है। फिर भी बहुत सारे जिनको अभी अभी रक्तदान करने से डर लगता हैं, तो हमारा कृतव्य हैं कि हम उन्हें जागरूक करे। उन्होंने भोजपुरवासियों के लिए अपना संपर्क नंबर भी जारी किया है उन्होंने कहा कि आप उन्हें 8083061870 पर संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वो जिले वासियो के लिए मुफ्त में सेवा देने के लिए लगातर कई वर्षों से कार्य कर रहें हैं। उन्होंने कहा कि हमको यह भावना जन-जन तक पहुंचानी चाहिए कि रक्तदान महादान है। इससे लाखों लोगो की जिंदगी बच सकती है। अगर आप की वजह से किसी की ज़िन्दगी बचती हैं तो आपको जो संतुष्टि का एहसास होगा उसे शब्दों में बयाँ करना मुमकिन नही हैं। समाजसेवी अमित सिंह भूटाली अपने गांव से 20 किमी की दूरी तय कर रक्तवीर रक्तदान करने अपने गांव जमालपुर से जिला मुख्यालय आरा पहुंचा। पहली बार यह रियल हीरो रक्तदान करने नहीं पहुंचा है बल्कि पांचवी बार सूचना मिलने पर वह रक्तदान करने पहुंचा है। इस रक्तवीर को मरीज के परिजनों ने आने जाने का खर्च तथा अन्य खर्च देने आग्रह किया लेकिन उसने विनम्रता से इंकार करते कहा आने जाने में काेई खर्च हुआ ही नहीं। मैंने तो अपना कर्तव्य का पालन किया है। बस आपके बच्चे जान बच जाए। वही हमारे लिए सबकुछ है। कोइलवर प्रखंड के जमालपुर निवासी युवक समाजसेवी अमित सिंह भूटाली अपने एक मित्र के आग्रह पर पांचवी बार रक्तदान करने जिला मुख्यालय के रेड क्रॉस पहुंचा। जगदीश पुर के धंगाई निवासी विशाल सिंह को बी पाजीटिव ब्लड की जरूरत थी। अपने मित्र कि सूचना मिलने पर समाजसेवी भूटाली सिंह अपने गांव जमालपुर से 20 किमी की दूरी तय कर जिला मुख्यालय आरा के रेड क्रॉस पहुंचा और मरीज को रक्त दिया। इतनी दूर से आने पर मरीज के परिजनों ने उसे आने-जाने का खर्च देने आग्रह किया। परिजनों के इस आग्रह को लेने से युवक ने विनम्रता से इंकार करते कहा कि हमने अपने कर्तव्य का पालन किया है। हमारी इच्छा बस इतनी है कि आपने इस बच्चे का जान बच जाए। वही हमारा सबकुछ है। उसके मित्र को पहले जानकारी ही नहीं थी कि उक्त युवक पहले भी चार बार रक्तदान करने पहुंचा था।