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आईएएस केके पाठक के आदेश के खिलाफ प्रधानाध्यापक ने दिया इस्तीफा

पिछले दिनो आईएएस केके पाठक ने आदेश दिया था कि क्लास रूम में बैठने के लिये शिक्षक को नही मिलेगा कुर्सी

स्टेट हेड 

–  अमिट लेख

पटना। कड़क आईएएस नाम से जाने वाले के.के पाठक के प्रति दिन नये आदेश से बिहार के शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। स्कूलों में हो रही जांच से शिक्षक समय पर आने लगे है। जिससे आमलोग खुश हैं तो जांच और कार्रवाई के नाम पर मनमानी करने की भी शिकायतें सामने आ रहा है।

मनमाने तरीके से कार्रवाई का आरोप लगाते हुए एक प्रधानाध्यापक ने अपने पद से इस्तीफ दे दिया है। इस्तीफा का यह कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसको लेकर कई तरह की चर्चायें चल रही है। अपने पद से इस्तीफा देने वाले का नाम शिवजी मिश्र है और वे समस्तीपुर जिला के मध्य विद्यालय हसनपुर रोड के प्रधानाध्यापक है। उन्हौने हसनपुर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को अपना इस्तीफा भेजा है। अपने इस्तीफे में प्रधानाध्यापक शिवजी मिश्र ने लिखा है कि 3 जुलाई 2023 को विद्यालय जांच के क्रम में हसनपुर के पीएम पोषण योजना के प्रखंड साधनसेवी लालबाबू दास के द्वारा दिए गए गलत जांच रिपोर्ट के आधार पर समस्तीपुर जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा मेरे एवं एक शिक्षक का वेतन बंद कर दिया गया। इस कार्रवाई से मेरी काफी बदनामी हुई। शिवजी मिश्र ने अपने इस्तीफा में आगे लिखा के वेतन बंद किए जाने के संबंध में मैने 5 जुलाई को इस आशा के साथ जिला शिक्षा पदाधिकारी को सूचित किया कि मेरे संबंध में सम्यक जांच कराकर न्याय करेंगे,पर आजतक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अगर विभाग मुझे दोषी मानता है तो ये मेरी नैतिक जवाबदेही है कि मेरे जैसा लापरवाह शिक्षक को विद्यालय में नहीं रहना चाहिए और यदि मैं दोषी नहीं हूं तो बिना कारण बदनाम करने वाले या ऐसा कहें कि विवेकशून्य विभाग में रहकर अपना स्वाभिमान और आत्मसम्मान गंवाना नहीं चाहता हूं। इसिलए मैं अपने पद से त्यागपत्र दे रहा हूं। बताते चलें कि शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव का पदभार संभालने के बाद से ही आईएएस केके पाठक एक्शन में हैं। वे नित नए नए आदेश जारी कर रहें है। उनके आदेश से 1 जुलाई से स्कूलों में लगातार निरीक्षण हो रहा है। जिसमें लापरवहा कई शिक्षकों और कर्मियों पर एक्शन लेते हुए वेतन बंद करने समेत अन्य कार्रवाई हो रही है। वहीं अब ऑनलाइन के जरिए शिक्षकों की हाजिरी लगाई जा रही है। आने वाले दिनों में छात्र-छात्राओं की भी हाजिरी भी ऑनलाइन लगाई जाएगी। शिक्षकों को क्लासरूम में पढाने के समय सोसल मीडिया और मोबाइल से दूर रहने को लिए कहा गया है, और इन आदेश का उल्लंघन करने वालों के कई शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। कुछ दिन पहले बिहार के सरकारी स्कूलों के क्लास रूम में गुरुजी के लिए कुर्सी नहीं लगाने को लेकर आदेश जारी किया गया है, उन्हे खड़ा हेकर पढाने के लिए कहा गया है। प्रचार्य से क्लासरूम की कुर्सी बाहर करने का निर्देश जारी किया है। ऐसा नहीं करने वाले प्रचार्य के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह मामला बेगूसराय जिला से संबंधित है. यहां के चेरिया बरियारपुर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने उच्च माध्यमिक विद्यालय चेरिया बरियारपुर के प्रचार्य को लिखा है जिसमें कहा गया है कि निरीक्षण के क्रम में आपके शिक्षक क्लास रूम में कुर्सी पर बैठकर मोबाइल चलाते हुए पाए गए हैं। ऐसे में ये आदेश दिया जाता है कि सभी क्लासरूम से कुर्सी हटा ली जाय, और ये निगरानी रखी जाय कि शिक्षक खड़े होकर पढायें और क्लास के समय मोबाइल का प्रयोग न करे। गौरतलब है कि पटना में 11 जुलाई को आन्दोलन में शामिल होनेवाले शिक्षकों को भी चिन्हित करके कार्रवाई की जा रही है। शिक्षा विभाग ने 100 से ज्यादा शिक्षकों को चिन्हित कर स्पष्टीकरण मांगते हुए निलंबन की कार्रवाई शुरू की है। इससे शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है वहीं शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग के इस कार्रवाई का विरोध करते हुए सरकार से सवाल पूछा है। बताते चलें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने मई माह में ही शिक्षक नियुक्ति के खिलाफ किसी भी धरना प्रदर्शन एवं आंदोलन करने को लेकर आदेश जारी किया था और किसी भी शिक्षक के इसमें शामिल होने पर कार्रवाई की बात कही थी अब उसी आदेश का हवाला देते हुए 11 जुलाई को पटना में हुए आंदोलन में शामिल शिक्षकों को चिन्हित करते हुए कार्रवाई शुरू की गई है और इस कड़ी में करीब 100 से ज्यादा शिक्षकों को चिन्हित करके निलंबन की कार्रवाई की जा रही है। इससे नाराज माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि एक तरफ सरकार वार्ता की बात कह रही है। दूसरी तरफ शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। यह तुगलकी फरमान नहीं चलेगा। शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि क्या बिना उनकी इजाजत के नौकरशाह इस तरह का आदेश निकाल रहे? अगर बिना अनुमति यह आदेश निकाला जा रहा है तो सरकार संबंधित अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर रही है और अगर इसमें सरकार की सहमति है तो फिर यह लोकतांत्रिक अधिकारों को खत्म करने जैसा है और यह शिक्षक संघ कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। अगर यह तुगलकी फरमान वापस नहीं लिए गए तो संघ फिर से उग्र आंदोलन करेगा।

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