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Post: खेत बेचकर मानसिक रोगी चंदन का करवाया इलाज फिर भी सुधार नहीं

खेत बेचकर मानसिक रोगी चंदन का करवाया इलाज फिर भी सुधार नहीं

– डेढ़ साल से चंदन मानसिक रोग के हुए शिकार पूर्णिया रांची सहित कई स्थानों में करवाया इलाज पर नहीं हुआ सुधार

-अब पहुंचा है कोलकाता मेडिकल कॉलेज, अस्पताल

कोलकाता पहुंचे निरंजन कुमार की रिपोर्ट :

–  अमिट लेख

मुंगेर, (जिला ब्यूरो)। मालदा के माथेटिका निवासी चंदन के परिजन बिहार एवं रांची के विभिन्न अस्पतालों में उसका इलाज करा हार गये तो कोलकाता मेडिकल कॉलेज पहुंचे।

चंदन की मां उषा कुमारी बताती है कि डेढ़ साल के दौरान उन्होंने मानसिक रोगी चंदन के इलाज के लिए खेत बेच दिया लेकिन चंदन स्वस्थ नहीं हुआ। बिहार में बहार है गठबंधन की सरकार है लेकिन जनता बेहाल है। एक और जहां कोलकाता में बुद्धदेब भट्टाचार्य और ज्योति बसु जैसे मुख्यमंत्री ने राजकीय उन्नति के लिए चहुमुखी विकास किया वही, बिहार में जाति जनगणना, शराबबंदी, दहेज उन्मूलन का ही राग अलाप रहा है। परिणाम जनता को वास्तविक मूलभूत सुविधा नहीं मिल रही है। इलाज के नाम पर लुटे जा रहे हैं, जिसका नजीरा है मालदा माथा टीका के 20वर्षीय चंदन। शायद उषा देवी डेढ़ साल पूर्व बच्चे के इलाज के लिए कोलकाता मेडिकल कॉलेज पहुंच जाती तो उनका खेत नहीं बिकता और बच्चा स्वस्थ हो जाता। बताते चलें कि कोलकाता कॉलेज स्ट्रीट स्थित मेडिकल कॉलेज, अस्पताल मैं वैसे सुविधा है कि यहां बड़े से बड़े बीमारी का इलाज सरल ढंग से हो जाता है। आर्थिक दोहन नहीं होता है लेकिन दूसरी और मरीजों के परिजन को इलाज के दौरान जो विभिन्न जांच की प्रक्रियाए होती है। उस में लंबे समय का सामना करना पड़ता है लंबे-लंबे मानव श्रृंखला में लगना पड़ता है। अगर आप लंबे समय का सामना कर लिए तो मरीज स्वस्थ हो जाएगा और आर्थिक दोहन से भी आप बच जाएंगे। आए दिन यहां सैकड़ों मानसिक रोगियों की इलाज होती है अगर आप बंगला भाषा नहीं जानते हैं फिर भी कोई परेशानी नहीं। यहां हिंदी भाषी लोग आपको मिल जाएंगे, जो आपको मदद करेंगे अगर कोलकाता में आप इलाज कराना चाहते हैं। और आपका कोई परिजन यहां नहीं रहता है तो आप परेशान नहीं हो यहां  रूपया 75 में बेड मिलता है। लॉज में आप वहां रह सकते हैं।  अन्यथा कॉलेज परिसर स्थित विभिन्न सेड है जहां रात्रि विश्राम के लिए रूपया 10 का भुगतान करना पड़ता है। गरीब से गरीब लोग यहां इलाज करा रहे हैं। विभिन्न सेवा संस्था के द्वारा दोपहर में लोगों को मुफ्त भोजन भी प्रदान किया जाता है। मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए आ रहे हैं तो आपने मरीज का जहां पूर्व में इलाज कराया है, उसका पूरा जांच रिपोर्ट साथ लेकर आएंगे तो डॉक्टर को सुविधा होगीऔर वे आगे इलाज एवं जांच के प्रक्रिया में लग जाएंगे। यहां ऐसा नहीं है कि आप जो जांच रिपोर्ट लेकर आए हैं वह अमान्य होता है। बिहार के अन्य निजी क्लीनिक के तुलना में इसलिए चंदन के परिजन को जिस मुसीबत का सामना करना पड़ा। वैसी परेशानी से आप बचना चाहते हैं और आपके संबंधी में कोई मानसिक रोगी या अन्य गंभीर रोगी है तो आप इधर उधर ना भटक कर एक बार मेडिकल कॉलेज अवश्य आए आप खुद अनुभव कर लेंगे आपको सुविधा मिलेगा।

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