अपने हृदय को परमात्मा के चित में लगाना चाहिए
श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा का श्रवण मानव के हृदय को परम आनंद से भर देता है
रिपोर्ट : रुचि कमल सिंह ‘सेंगर’
छपरा (सारण)। जिले के नगर पंचायत एकमा बाजार के राहुल नगर मोहल्ला में श्रद्धालु नगर वासियों के सहयोग से चैत्र नवरात्रि के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान प्रवचन करते हुए शनिवार की शाम द्वितीय दिवस की कथा सुनाते हुए वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य श्री सरस जी महाराज ने पंचम वेद की उपमा से अलंकृत महर्षि वेद व्यास जी द्वारा विरचित श्रीमद भागवत महापुराण में वर्णित प्रभु श्रीकृष्ण की लीलाओ और 88 हजार ऋषि-मुनियों की तपोभूमि नैमिषारण्य धाम तीर्थ के महात्म्य का वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा का श्रवण मानव के हृदय को परम आनंद से भर देता है। उस पर 33 कोटि देवो और 88 हजार ऋषियों के आशीर्वाद से अभिसंचित नैमिषारण्य जैसी परम पुनीत भूमि में श्रवण अन्य तीर्थों की अपेक्षा कई गुना अधिक पुण्य प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि नैमिषारण्य तीर्थ वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 90 किमी की दूरी पर सीतापुर जिले में आदि गोमती नदी के किनारे स्थित है।भागवत कथा में श्री सरस जी महाराज ने भागवत महात्म्य के विभिन्न प्रसंगों का व्याख्यान किया। जिनमें देवर्षि नारद जी की भक्ति से भेंट, भक्ति का दु:ख दूर करने के लिए नारद जी का उद्योग, गोकर्णोपाख्यान, धुंधकारी का प्रेत योनि से श्रीमद भागवत की पुनीत कथा के प्रभाव से उद्धार प्रसंग आदि के वर्णन के साथ भागवत कथा का हरिद्वार तीर्थ में प्राचीन काल में आयोजन के प्रसंग का मार्मिक चित्रण व वर्णन किया। की विधि का विशेष व्याख्यान किया गया
इसके अतिरिक्त भागवत कथा और भगवत भक्ति का महत्व, भगवान के अवतारों का वर्णन, भगवान के यश कीर्तन की महिमा और देवर्षि नारद जी का पूर्व चरित्र, गर्भ में परीक्षित रक्षा, कुंती के द्वारा भागवत की स्तुति तथा भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति करते हुए भीष्म का प्राण त्याग करना आदि प्रसंगों का सरस और मृदुल भाव से रसपान कराया गया। उन्होंने कहा कि भगवान की कथा सुनने में चुकना नहीं चाहिए। अपने हृदय को परमात्मा के चित में लगाना चाहिए। आचार्य सरस जी महाराज के सानिध्य में यजमान भूपेंद्र प्रसाद सिंह, निवर्तमान एमएलसी डॉ वीरेंद्र नारायण यादव, वीरेंद्र कुमार यादव, प्रो अजीत कुमार सिंह, अजय कुमार, अनिल वर्मा, के के सिंह सेंगर, उमेश प्रसाद, कल्याण जी, छोटे लाल चंद्रशेखर सिंह, संग्राम सिंह आदि अन्य काफी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु भक्तों ने कथा का श्रवण किया।