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Post: बिहार के इकलौते वीटीआर में मिला दुर्लभ प्रजाति का कस्तूरी बिलाव सिवेट

बिहार के इकलौते वीटीआर में मिला दुर्लभ प्रजाति का कस्तूरी बिलाव सिवेट

रिहायशी इलाके में मिलने से लोगों में कोतुहल

नसीम खान ‘क्या’

–  अमिट लेख

बगहा, (जिला ब्यूरो)। इंडो नेपाल सीमा पर स्थित बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व अंतर्गत रिहायशी इलाके में उस वक्त हड़कंप मच गया जब वाल्मीकिनगर के वर्मा कॉलोनी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में दुर्लभ प्रजाति का जानवर पहुँच गया। दरअसल फिशिंग कैट की तरह दिखने वाली एशियन पॉम सिवेट जिसे कबर बिज्जू कहते हैं जो बहुत कम दिखने व मिलने वाली जंतु है हालांकि यह खतरनाक जानवर नहीं है। इसके अचानक वाल्मीकिनगर के पिपरा कुट्टी समीप वर्मा कॉलोनी में देखकर लोगों में अफ़रा तफ़री मच गई। इसकी सूचना लोगों ने वन विभाग को दी। जिसके बाद वन विभाग की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी है। बताया जा रहा है कि कस्तूरी बिलाव अर्थात सिवेट जिसे गंधमाजर्र या गंधविलाव भी कहा जाता है इसके मल से कॉफी तैयार की जाती है जो कि 6 हज़ार रुपये के क़रीब बिकती है । बतादें, बिल्ली की तरह दिखने वाली इस दुर्लभ प्रजाति के जानवर की आंतों से गुजरने के बाद कॉफी बिन्स का स्वाद ज्यादा बढ़ जाती है लिहाजा इस कॉफी को कोपी लुवाक के नाम से जाना जाता है। अमेरिका में एक कप की क़ीमत 6 हज़ार हो जाती है। इस एशियन पाम सिवेट लंबा व गठीला शरीर उसके मोटे औऱ झबराले बालों से ढंका होता है। ख़ास बात यह है कि आमतौर पर यह भूरे रंग के होते हैं जिसके माथे पर सफ़ेद मुखौटा नुमा ढांचा होता है। बतातें चलें कि एशिया और अफ्रीका में पाए जाने वाले कस्तूरी बिलाव अर्थात कमर बिज्जी क़रीब 53 सेंटीमीटर लंबा और लंबी पूंछ वाले होते हैं जिसका वजन 2 से 5 किलोमीटर तक होता है। जिसकी पूंछ के निचे गुदा ग्रंथ कोई धमक या परेशानी में होने पर रासायनिक रक्षा के रूप में एक उल्टी स्राव का उत्सर्जन कर उसे रक्षा प्रदान करती हैं जो कस्तूरी गंध भी उत्पन्न करती है। यह जीव आसानी से वृक्षों पर चढ़ जाया करते हैं औऱ आमतौर पर रात में ही बाहर निकलते हैं। लिहाजा इस दुर्लभ प्रजाति के जानवर का रिहायशी इलाके में मिलना क्षेत्र में कौतूहल का विषय है।

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