शब्दों के मायाजल में उलझे दिग्गज
न्यूज डेस्क पटना
दिवाकर पाण्डेय
पटना(विशेष ब्यूरो)।आईएएस अधिकारी केके पाठक के इस्तीफे की खबर चल रही है। लगातार यह सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। कहा जा रहा है कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। लेकिन, बड़ी बात यह है कि जिस पत्र को वायरल किया जा रहा है उसमें ही यह साफ-साफ बताया गया है कि उन्होंने पद त्याग किया है या फिर परित्याग किया है। दरअसल, जो पत्र वायरल किया जा रहा है उसमें लिखा गया है कि वे स्वतः अपने पद का परित्याग कर रहे है। साफ है कि यह सरकरी भाषा है जिसे शायद समझने वालों ने गलत समझ लिया और इस्तीफे की बात फैला दी गई। दरअसल, इस पूरे मामले को समझने के लिए इसके तकनीकी पहलू को समझाना आवश्यक है।
केके पाठक ने पद से परित्याग किया है और इसे इस्तीफा तो कतई नहीं बोल सकते हैं। दरअसल, केके पाठक लंबी छुट्टी पर हैं और जब ये तय नहीं होता कि किसको प्रभार देना है, उस स्थिति में कहा जाता है, परित्याग कर रहे हैं। जब ये पता हो कि चार्ज किसको दे रहे हैं, तब लिखते हैं किसी को प्रभार दे रहे है। बता दें कि केके पाठक का एक पत्र वायरल हो रहा है। इस पत्र में लिखा गया है, “अधोहस्ताक्षरी, मैं के.के. पाठक, भा.प्र.से.(1990), सामान्य प्रशासन विभाग, बिहार, पटना के अधिसूचना संख्या -1/पी-1004/2021/सा.प्र.-590 , दिनांक 09.01.2024 के आलोक में आज दिनांक 09.01.2024 के अपराह्न में अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार, पटना के पद का प्रभार स्वतः परित्याग करता हूं।
(सामान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचना संख्या-1/पी-1004/2021/सा.प्र.-590, दिनांक-09.01.2024 द्रष्टव्य.)।इस पत्र की प्रतिलिपि को शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन सुबोध कुमार ने राज्य सरकार के सारे प्रमुख पदाधिकारियों को भेजी गई है। इस पत्र के वायरल होने के बाद केके पाठक के इस्तीफे की खबर सोशल मीडिया में वायरल हो गई। इसी के साथ सामान्य प्रशासन विभाग की भी एक अधिसूचना भी है जिसमें जो लिखा गया है वह भी स्थिति स्पष्ट करता है। अधिसूचना के अनुसार, “श्री के.के. पाठक, भा.प्र.से. (1990), अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार, पटना (अतिरिक्त प्रभार-महानिदेशक, बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान-बिपार्ड, पटना) की दिनांक 08-01-2024 से 16-01-2024 की अवकाश अवधि में श्री बैद्यनाथ यादव, भा.प्र.से. (2007), सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार, पटना (अतिरिक्त प्रभार-जांच आयुक्त, सामान्य प्रशासन विभाग, बिहार) शिक्षा विभाग के सम्पूर्ण कार्यो का निष्पादन करेंगे। बता दें किबिहार सरकार ने सरकारी सेवकों के कामकाज के लिए संहिता बना रखी है। उसकी अनुसूची संख्या-53 के तहत किसी महत्वपूर्ण पद पर पदस्थापित अधिकारी को लंबी छुट्टी पर जाने से पहले फॉर्म 202 भरना पड़ता है। इसमें वे छुट्टी की अवधि तक के लिए अपने पद का परित्याग करते हैं। के.के. पाठक उसी नियम के तहत पद परित्याग का फॉर्म भर कर छुट्टी पर गए हैं। सरकारी नियमों के मुताबिक जब वे 16 जनवरी के बाद छुट्टी से वापस लौटेंगे तो फिर से पद संभालने का प्रपत्र भरेंगे। बस यहीं से क्न्फ्यूजन क्रिएट हुआ और सोशल मीडिया में लगातार के.के. पाठक के इस्तीफे की खबर फैल गई। लेकिन साफ है कि सरकारी नियमों के मुताबिक, केके पाठक पद परित्याग का फॉर्म भर कर छुट्टी पर गए हैं। उनके पद परित्याग की औपचारिकता के बाद ही छुट्टी की अवधि में सचिव बैद्यनाथ यादव उनका कामकाज देख सकते हैं। बता दें कि के.के. पाठक ने अपनी छुट्टी के आवेदन में ही सरकार से ये अनुशंसा की थी कि उनके अवकाश की अवधि में बैद्यनाथ यादव को चार्ज दिया जाए।