रात के तापमान में आई गिरावट
न्यूज डेस्क, आरा
तारकेश्वर प्रसाद
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आरा (जिला ब्यूरो) :भोजपुर जिले में लगातार तापमान में गिरावट हो रही है। पछुआ हवाओं के कारण सुबह का तापमान 8से 9 डिग्री लेकर 12 डिग्री के बीच रह रहा है। सर्द हवाओं ने बड़े बुजुर्गों को परेशान कर रखा है। ऐसे में यदि घर-परिवार में अगर छोटे बच्चे हैं तो उनकी थोड़ी अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ठंड में बच्चों के शरीर का तापमान कम होने लगता है। जिसके कारण उनको निमोनिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
डॉक्टर ने बताया कि ठंड के मौसम में बच्चों में सर्दी-खांसी और निमोनिया होने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, प्रदूषित हवा का वातावरण में काफी नीचे रहना तथा बच्चों में रोग से लड़ने की क्षमता का कम होना उनके लिए घातक साबित हो सकता है।
सर्दियों में बीमरियों की मुख्य वहज है संक्रमण
डॉ. कुमार ने बताया सर्दियों के मौसम में एक ही कमरे में अधिक लोग समय व्यतित करते हैं। जिसके कारण कमरे में ओवर क्राउडिंग आदि सांस संबंधी रोगों के होने के मुख्य कारण हैं। उन्होंने बताया कि लोगों में यह धारणा रहती है कि उनके बच्चे या परिवार के अन्य सदस्य ठंड के कारण बीमारी होते हैं। लेकिन, ऐसा नहीं है सर्दियों में बीमारी के प्रसार का मुख्य कारण इंफेक्शन यानि संक्रमण होता है। कई बार हम ठंडी हवा से बचाने के चक्कर में बच्चों को ज्यादा बीमार कर लेते हैं। आजकल माताएं बच्चों को पूरे दिन डायपर पहनाती है। जिसके अत्यधिक प्रयोग से बच्चों में यूरिनरी इन्फेक्शन की शिकायत बढ़ जाती है। इस भ्रम में कि बच्चों को ठंड लग जाएगी, मां रातभर बच्चे को डायपर में पैक कर देती हैं। ऐसे में लंबे समय तक डायपर में लिपटे बच्चे को इन्फेक्शन होना की सभवना हो सकती है।
सर्दियों में मालिश्स से शरीर के अंदर ही बनी रहती है गर्मी
डॉ. कुमार ने बताया अमूमन बच्चों को तेल मालिश करते देखा जाता है। ठंड में शिशुओं और बच्चों के शरीर पर तेल मालिश करने से ठंड से बचत होती है। मालिश से त्वचा में मौजूद पानी वाष्पित नहीं होता और त्वचा मुलायम बनी रहती है साथ ही शिशु के शरीर की गर्मी अंदर ही बनी रहती है। बच्चे के शरीर को गर्म रखने के साधन समुचित हैं या नहीं, यह बच्चे के शरीर के तापमान को देखकर समझा जा सकता है। अगर बच्चे के शरीर का तापमान 36 डिग्री सेंटीग्रेड के नीचे है तो समझ लेना चाहिए कि उसे गर्मी देने के उपायों को बढ़ाना है। साथ ही, उनके कपड़े प्रतिदिन अच्छे से साफ कर धूप में सुखाना चाहिए। बिना गर्म कपड़ों के उन्हें घर के बाहर लेकर नहीं निकला चाहिए।
पीसीवी वैक्सीन बच्चों को निमोनिया से बचाने में है सहायक
वही डॉक्टर के अनुसार ठंड में बच्चों को कई बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। जिसमें निमोनिया भी शामिल है। जिससे बचाने के लिए पीसीवी सहायक होता है। इसे सरकार द्वारा नियमित टीकाकरण में शामिल किया गया है। इसे तीन खुराकों में दिया जाता है तथा यह बच्चों को निमोनिया से बचाने में अहम भूमिका अदा करता है। चिकित्सक 2 साल से कम आयु के बच्चों और 2 से 5 साल के बच्चों को अलग अलग निमोनिया के टीकों की सलाह देते हैं। धुम्रपान से परहेज, स्वस्थ एवं संतुलित जीवन शैली तथा साफ सफाई का ध्यान रख निमोनिया से बचा जा सकता है।