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Post: केके पाठक का नया फरमान, धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए नियोजित शिक्षक तो लेगे कड़ा एक्शन

केके पाठक का नया फरमान, धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए नियोजित शिक्षक तो लेगे कड़ा एक्शन

हमारे विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :

शिक्षक संघ ने 13 फरवरी को विधानसभा का घेराव करने का लिया है फैसला

न्यूज डेस्क, राजधानी पटना

दिवाकर पाण्डेय

,- अमिट लेख
पटना, (विशेष ब्यूरो)। बिहार शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक अपनी कड़ी कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। बीते कुछ महीनों में सरकारी स्कूलों से लेकर टीचर और कर्मचारियों को लेकर नए-नए आदेश जारी करते रहे हैं। अब एक और नया फरमान केके पाठक ने जारी किया है। जिससे नियोजित शिक्षकों की टेंशन बढ़ गई है। दरअसल अब नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा तभी मिलेगा जब सक्षमता परीक्षा पास करेंगे। जिसके लिए उन्हें तीन मौके मिलेंगे। अगर तीनों बार फेल हुए तो, शिक्षक सेवा से हटा दिया जाएगा। इस निर्णय का बहिष्कार करते हुए शिक्षक संघ ने 13 फरवरी को विधानसभा का घेराव करने का फैसला लिया था। इसी मामले पर नया आदेश जारी किया गया है। सक्षमता परीक्षा के विरोध में धरना-प्रदर्शन करने के नियोजित शिक्षकों द्वारा किये गये ऐलान पर शिक्षा विभाग ने कड़ी हिदायत दी है। विभाग ने ऐसे शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज करने समेत अन्य कार्रवाई का निर्देश जिलाधिकारियों को दिया है। विभाग ने जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि प्राप्त जानकारी के अनुसार नियोजित शिक्षकों के द्वारा सक्षमता परीक्षा का बहिष्कार करने और 13 फरवरी को विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन करने का ऐलान किया गया है। 13 फरवरी को विद्यालय खुले हुए हैं। ऐसे स्थिति में शिक्षकों विद्यालय छोड़कर धरना-प्रदर्शन में शामिल होने से यह स्पष्ट होगा कि उनके द्वारा विद्यालयों में शिक्षण कार्य में बाधा उत्पन्न की जा रही है। यदि आपके जिले में नियोजित शिक्षकों द्वारा किसी भी प्रकार के धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा जाता है तो उसे आईपीसी की धारा 141 के तहत गैरकानूनी सभा मानते हुए आवश्यक कार्रवाई करें। साथ ही आईपीसी की धारा 186, 187 और अन्य सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की जाये। साथ ही वैसे धरना-प्रदर्शन में शामिल होने वाले शिक्षकों को चिह्नित करते हुए उनके विरुद्ध विभागीय नियमावली के आलोक में कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई की जाये। माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने इस संबंध में जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है। सक्षमता परीक्षा में शामिल होने के लिए हर शिक्षक से तीन जिलों का विकल्प भी मांगा जा रहा है। परीक्षा के बाद बनने वाली मेधा सूची के आधार पर विकल्प वाले जिले में शिक्षकों को स्कूल आवंटित किया जाएगा। विशिष्ट शिक्षकों को बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित होने वाले शिक्षक की तर्ज पर वेतनमान और अन्य सुविधाएं ती जाएंगी। साथ ही इन्हें वेतन संरक्षण का भी लाभ दिया जाएगा। सक्षमता परीक्षा के लिए शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं। 26 फरवरी से परीक्षा शुरू होगी। राज्य के साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिये जाने के लिए उनकी सक्षमता परीक्षा ली जा रही है। परीक्षा पास करने वाले राज्यकर्मी होंगे और वह विशिष्ट शिक्षक कहलाएंगे। परीक्षा पास करने के लिए हर शिक्षक को तीन अवसर दिये जाएंगे। तीनों अवसरों में परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले शिक्षकों की सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। शिक्षक सक्षमता परीक्षा नियमावली को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली, 2023 के नियम 3 व 4 को अवैध, भेदभावपूर्ण, अनुचित और संविधान के अनुच्छेद 14 एंव 16 के खिलाफ करार देने को लेकर यह अर्जी दायर की गई है। याचिका में परीक्षा के लिए आवेदन भरने पर रोक लगाने का आग्रह कोर्ट से किया गया है। साथ ही 26 फरवरी से होने वाली परीक्षा पर रोक लगाने का भी अनुरोध याचिका के माध्यम से किया गया है। आवेदक की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कहा कि यह नियम के विरुद्ध है।

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