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Post: आज भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में संविधान पर भाजपा सबसे खतरनाक फासीवादी हमला कर रहीं हैं – विधायक

आज भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में संविधान पर भाजपा सबसे खतरनाक फासीवादी हमला कर रहीं हैं – विधायक

भीमराव अम्बेडकर और ज्योतिबाफुले के जयंती पर सांप्रदायिक उन्माद व हिंसा केे खिलाफ माले विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता का जारी है सद्भावना – एकजुटता अभियान

– अमिट लेख

बेतिया, (मोहन सिंह)। भीमराव अम्बेडकर और ज्योतिबाफुले के जयंती पर बिहार सरीफ और सासाराम में हुई सांप्रदायिक उन्माद व हिंसा केे खिलाफ। भाकपा-माले केन्द्रीय कमिटी सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने सिकटा प्रखंड के बैशखवा, परसौनी, झखरा, गौचरी, बलथर, मिश्र टोला, सिकारपुर, लालपरसा, मंगलपुर, बिरईठ आदि दर्जनों गांवों में सदभावना- एकजुटता अभियान के तहत जनसंवाद किया।

माननीय विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि आज जब भारतीय लोकतंत्र अपने इतिहास में सबसे खतरनाक फासीवादी हमले का सामना कर रहा है। एक विपक्ष विहीन संसदीय व्यवस्था की ओर भारत को जबरन धकेला जा रहा है। तब लोकतंत्र को लेकर डॉ. अम्बेडकर की गहरी समझ पर एक नजर डालना जरूरी है। अम्बेडकर के अनुसार संसदीय लोकतंत्र में राजनीतिक दलों का होना आवश्यक है। राजनीतिक दल जनमत की अभिव्यक्ति और उसको लागू करने के औजार हैं। लेकिन व्यवहार में भाजपा लोकतंत्र को ही खत्म कर रहीं हैं। आऐ दिन गृहमंत्री अमित शाह खुला ऐलान कर रहे है कि देश में मात्र एक पार्टी भाजपा रहेगी,भाजपा का उदेश्य सभी पार्टियों को खत्म करना है, ग्रामीण गरीबों- मजदूरों को संबोधित करते हुए माननीय विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि भीमराव आंबेडकर ने 1946 के बजट सत्र में, सप्ताह के काम के घंटे 54 से घटाकर 48 घंटे और 10 घंटे के बजाय 8 घंटे प्रतिदिन करने का प्रस्ताव किया गया था। आज आजादी के 75 साल बाद भाजपा और मोदी सरकार अपने दोस्तों अंबानी अडानी के लिए मजदूरों पर 8 घंटे काम के बदले 12 घंटे का कानून थोपा है जिसका मुहतोड़ जबाब 2024 और 2025 के चुनाव में देना है, माले विधायक ने कहा कि आज के दौर में बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर को उनकी खुद की नजर से देखने और समझने की जरूरत है। यही समझ हमें शहीदे आजम भगतसिंह और डॉ अम्बेडकर के सपनों के भारत के एकाकार होने की तरफ ले जाती है। इसी भारत के निर्माण के लिए देश के सभी मेहनतकशों, शोषित उत्पीड़ितों को आज एक होने की जरूरत है। इस मौके पर संजय मुखिया, सुरेश राम, संजय राम, भोज राम आदि नेताओं ने भी अपना विचार को रखा।

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