अजब गजब
मनरेगा/वनपोषक प्रखंडवार जांच की जरुरत :
चनपटिया प्रखंड के सिरिसिया पंचायत का का मामला
न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण
मोहन सिंह
– अमिट लेख
बेतिया, (विशेष खबर)। सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न योजनाओं में वैसे तो खुल्लम-खुल्ला लूट मचने की चर्चाएं होती रहती है। परन्तु प्रखंड में पदस्थ देवताओं और उनके अनुवाइयों के चलते पीएम आवास, मनरेगा सरीखे नल-जल योजनाओं में रोजगार सेवक, आवास सहायकों और संवेदकों की मनमानी के विरुद्ध अबतक कोई लगाम कसे नहीं जाने से अमूमन हर प्रखंडो से जुड़े लाभुकों को चढ़ावा और तिमारदारी करने की परम्परा सी निकल पड़ी है।
जहाँ आवास योजना में 25 से 35 हज़ार रुपये का नज़राना आम बात है, तो वहीँ 150 से 250 रुपये ऐंठ कर मनरेगा में वास्तविक मजदूरों को हलकान करते हुये प्रायः प्रत्येक प्रखंड में वार्ड सदस्यों और रोजगार सहायकों की मिली भगत से डम्मी मजदूरों को जॉब कार्ड सुलभ कराने की भी चर्चा आम है। ऐसे में अकेले चनपटिया प्रखंड में गड़बड़ी होने का विषय समूल बिहार के सभी प्रखंडो को जांच के दायरे में लाने जैसा मामला है। जहाँ एनएमएमएस पर जॉब कार्ड धारी मजदूर की तस्वीर महिला के बजाय पुरुष का होना चौँकाऊ नहीं। सरकार द्वारा प्रायोजित ऐसी योजनाएं एक मायने में प्रखंड के बाबुओं और उनके पोषित दलालों के लिए सीधे कामधेनु बनी हुई हैँ।
पंचायत लगे पेड़ों का पता नही वनपोषकों के नाम पर हुआ लाखों का भुगतान : सूत्र
‘अमिट लेख’ को मिली जानकारी के अनुसार अमूमन पंचायतों में हुये वानिकी कार्यक्रम में वृक्षारोपण और उसके प्रतिरक्षण का विषय भी रोमांचक है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मुखिया जनों द्वारा धन उगाही के निमित्त बगैर विभागीय संस्तुति जहाँ रिक्त पड़े ग्रामीण सड़कों के फ्लैँक और सिंचाई विभाग के सिंचाई नालों के प्रतिरक्षण वाले भू-खंडो पर बेतरकीब वृक्षारोपण के कार्य को युद्ध स्तर पर अमली जामा पहनाया गया है, वहीँ उन पौधों की देखभाल के लिए बहुधा पंचायतों में कागजी सेवक नियुक्त हैँ, जिनको मेल में लेकर निरंतर सरकारी खजाने से लाखों का वारा-न्यारा किया जा रहा है। चनपटिया के सीरिसिया पंचायत में हुई गड़बड़ी लोगों की माने तो महज संकेत है, जिसपर निष्पक्ष जांच कराना जरुरी है? ग्रामीण सूत्रों के अनुसार मनरेगा पदाधिकारीयों द्वारा स्थलीय जांच से हो सकता है मामले का खुलासा।