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Post: नीतीश- भाजपा के राज़ में कर्ज में आकंठ डूब चुका है बिहार, जिससे निकलना मुश्किल : संजय ठाकुर

नीतीश- भाजपा के राज़ में कर्ज में आकंठ डूब चुका है बिहार, जिससे निकलना मुश्किल : संजय ठाकुर

विशेष ब्यूरो बिहार दिवाकर पाण्डेय की रिपोर्ट :

जन्म ले रहा बच्चा भी उन्नीस हजार का कर्जदार

न्यूज़ डेस्क, राजधानी पटना 

दिवाकर पाण्डेय

– अमिट लेख
पटना, (ए. एल. न्यूज़)। तथाकथित विकास पुरुष का तमगा पहने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज़ में बिहार इतना क़र्ज़ में आकंठ डूब चुका है कि उससे उबरना मुश्किल हो गया है। बिहार में जन्म लेकर धरती पर आने वाले बच्चे भी 19,000( उन्नीस हजार रुपए) का कर्ज अपने माथे पर लेकर पैदा हो रहे है। इस जदयू – भाजपा गठबंधन की सरकार बिहार को कर्ज और गरीबी के गर्त में धकेल दिया है। इस विकट आर्थिक विपन्नता के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को विशेष पैकेज तक देने की फ़िक्र नहीं है। उक्त आरोप आज़ यहां जारी एक बयान में जन सुराज के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय कुमार ठाकुर ने लगाया है। श्री ठाकुर ने कहा है कि नीति आयोग के हालिया रिपोर्ट में बिहार देश का सबसे गरीब, अशिक्षित और बेरोज़गारी वाला प्रदेश बना हुआ है और इस कारण रोजी-रोटी के लिए बिहारियों को देश के दूसरे प्रदेशों में पलायन करना मजबूरी बन गया है। बिहार सरकार द्वारा हाल ही में कराये गये आर्थिक सर्वेक्षण में बिहार की गरीबी की जो तस्वीर सामने आयी है उसने सभी को चौंका दिया है। आर्थिक सर्वेक्षण से प्राप्त सरकारी आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च 2020 तक बिहार 1 लाख 91 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में था जो 2021 में बढ़कर 2 लाख 27 हजार 195 हजार करोड़ रुपए हो गया। कर्ज बढ़ते रहने का क्रम जारी रहा और अब यह कर्ज बढ़कर 31 मार्च 2023 तक 2 लाख 93 हजार 307.16 हजार करोड़ के पार हो गया है। जन सुराज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी तथा विजय सिन्हा और राज्य सरकार से यह जानना चाहता है कि बिहार पर इतना क़र्ज़ आखिर किन परिस्थितियों में बढ़ा है ? यह तो संस्कृत के इस मुहावरा को चरितार्थ कर रहा है कि जावत जीवेत सुखम जीवेत,ऋणम् लित्वा घृतम पीवेत।।
श्री ठाकुर ने आरोप लगाया है कि राजनेताओं और अधिकारियों का भ्रष्टाचार और फिजुलखर्ची ने बिहार को देश का सबसे दरिद्र राज्य बना दिया है। आश्चर्य तो यह है कि चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में बिहार का बजट 2 लाख 79 हजार करोड़ रुपए है जो सरकार कहां से पूरा करेगी? एक तरफ बढ़ती जान लेवा मंहगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है तो चालू वित्तीय वर्ष के बजट से अधिक कर्ज ने बिहार वासियों की चिंता बढ़ा दी है। गौरतलब है कि जन सुराज के संस्थापक और पदयात्रा अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर जी बार- बार यह कहते रहे हैं कि बिहार की गरीबी, अशिक्षा,बेरोज़गारी और पलायन ने हमारी अर्थव्यवस्था और मानवीय जीवन पर संकट खड़ा कर चुका है। पन्द्रह वर्षों के लालू राज और 19 वर्षों के नीतीश राज ने बिहार को देश का सबसे गरीब, अशिक्षित, बेरोज़गारी और पलायन करने वाला राज्य बना दिया है। इसीलिए प्रशांत किशोर पदयात्रा के दौरान लोगों को इन जातिवादी और धर्मवादी राजनीति से बाहर निकल कर अपने और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए वोट करने की अपील नागरिकों से कर रहे हैं।

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