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ऐतिहासिक कालीधाम मंदिर के 2,476 फिट लंबी चहारदीवारी व भव्य गेट का 90 लाख से होगा नवनिर्माण: गरिमा सिकारिया
निविदा जारी होने के लिए अंतिम स्वीकृति देने से पहले नगर निगम महापौर ने किया आयुक्त एवं अभियंता के साथ स्थल निरीक्षण
नगर निगम के द्वारा आकर्षक चहारदीवारी और भव्य गेट बनाने के प्राक्कलन पर निविदा जारी करने की प्रक्रिया शुरू
ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के “कालीबाग” मंदिर के नाम पर ही पूरे मुहल्ले तक हुआ कालीबाग नामकरण
चाहरदिवारी निर्माण के बाद नामकरण के अनुरूप नगर निगम से ही होगा “कालीबाग पार्क” का नवनिर्माण
– अमिट लेख
बेतिया, (मोहन सिंह)। नगर निगम की महापौर गरिमा देवी सिकारिया ने कहा नगर के बड़े धरोहर ऐतिहासिक कालीधाम मंदिर के 2,476 फिट लंबी चहारदीवारी और मंदिर के भव्य गेट का नव निर्माण होगा।
कुल करीब 13 एकड़ विस्तार वाले इस मंदिर की चहारदीवारी और तीन भव्य गेट को तैयार होने में करीब 90 लाख की लागत आएगी। नगर निगम प्रशासन से निविदा जारी करने की अंतिम स्वीकृति देने से पहले महापौर श्रीमती सिकारिया ने आयुक्त शम्भू कुमार, अभियंता सुजय सुमन एवं अभियंता मनीष कुमार के साथ कालीबाग मंदिर एवं मैदान का स्थल निरीक्षण किया।
इस मौके पर उन्होंने बताया कि स्थानीय निवासी और व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता बिहारी लाल साहू व जिला बार एसोसिएशन के सचिव के साथ सैकड़ों नगर वासियों के हस्ताक्षर वाला एक आवेदन उनको बीते दिनों दिया गया। जिसके साथ बिहार राजस्व पर्षद पटना से चहारदीवारी निर्माण के लिए जारी एनओसी भी संलग्न था। जिसके आलोक में नगर निगम बोर्ड में सहमति दी गई है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस आध्यात्मिक महत्व के ऐतिहासिक मंदिर का कुल विस्तार 13 एकड़ में है।जिसके 6 एकड़ में मंदिर 7 एकड़ में आध्यात्मिक पर्यावरण संरक्षा के महत्वपूर्ण पेड़ों वाला बगीचा लगाया गया था। श्रीमती सिकारिया ने बताया कि उक्त बगीचे की इसी विशेषता के कारण ही ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के मंदिर का नामकरण “कालीबाग” होने से इस पूरे मुहल्ले तक नाम भी कालीबाग पड़ गया। लेकिन रख रखाव और संरक्षण के अभाव में बाग़ बगीचे उजड़ गए। लेकिन समय के साथ समाप्त बाग बगीचे की पुनर्स्थापना जरूरी है। श्रीमती सिकारिया ने निरीक्षण के मौके पर यह भी घोषित किया कि चाहरदिवारी निर्माण के बाद नगर निगम के द्वारा ही “कालीबाग पार्क” का निर्माण कराया जाएगा। ताकि बेतिया के राजा के द्वारा स्थापित इस महान धरोहर का ऐतिहासिक नामकारण चरितार्थ हो सके। मौके पर स्थानीय पार्षद सहमत अली, पंडित जयचन्द्र जी, उमाजी, बिहारी लाल साहू, झूलन साहू एवं स्थानीय लोग मौजूद रहे।