जिसे दुनिया की ठोकर से बचाकर, परवरिश किया वही ठोकर खाने को मजबूर किया
लाखों की संपत्ति का मालिक पिता भीख मांग कर कर रहे जीवन यापन पुत्र और पुत्रवधु ने घर से निकाला
मुंगेर से निरंजन कुमार की रिपोर्ट :
– अमिट लेख
मुंगेर, (जिला ब्यूरो)। तुझे सूरज कहूं या चंदा, तुझे दीप कहूं या तारा, मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा….। इसी उम्मीद के साथ एक पिता अपने बच्चों का परवरिश करता हैं। पिता को उस बच्चे से यह उम्मीद जगी रहती है, जिस प्रकार उंगली पकड़ के अपने बच्चे को चलना सिखा रहे हैं। उसी प्रकार बुढ़ापा के समय वही बच्चे अपने पिता का उंगली पकड़ के जीवन नैया पार लगाएंगे। लेकिन, विडंबना ही है कि जिसने जीवन में दुख-दर्द सह करके जिस पुत्र को जवान किया, जीवन में जीने लायक बनाया। अपने संपत्ति का मालिक बनाया, वही पुत्र उस वृद्ध पिता को 70 वर्ष की आयु में घर से बेदखल कर दिया। पिता मजबूर ट्रेन में भीख मांग कर जीवन यापन करते हैं और अपने पिछले दिन को याद कर वह रोते रहते हैं। रामपुरहाट गया पैसेंजर में सफर कर रहे, दुखी पिता की यह दास्तान है। बताते चलें कि झारखंड जिला के गोड्डा बिहारी ग्राम थाना ठाकुरगंटी निवासी प्रभाष चंद्र शुक्ला बताते हैं कि उनको, उनका पुत्र एवं पुत्र बहू मिथिलेश शुक्ला व चांदनी देवी घर से बेदखल कर दिया निकाल दिये है। जबकि श्री शुक्ला का कहना है 8 बीघा खेत के मालिक हैं और रहने के लिए मकान बनाया। अपना निजी मकान है बावजूद उन्हें घर से निकाल दिया गया है। इस उम्र में रोने के सिवा उनके पास कुछ बचा नहीं है। इतना ही नहीं सात जन्म की साथ निभाने वाली धर्मपत्नी गीता देवी भी उनसे साथ छुड़ा ली हैं, और उन्हें दुनिया के ठोकर खाने के लिए मजबूर कर दिए हैं। हालांकि, यात्रा के दौरान मुंगेर लोक अदालत के पीएलवी निरंजन कुमार ने उनकी आपबीती सुनी और उन्हें झारखंड गोड्डा जिला स्थित लोक अदालत में जाने का परामर्श दिया। साथ हीं अपना संपर्क नंबर भी दिया ताकि वहां के कर्मचारियों से संपर्क स्थापित हो सके। जिस पहल से दुखी पिता के साथ न्याय मिल सके। प्रभाष चंद्र शुक्ला उस पीड़ित पिता का एक उदाहरण है जिसे घर से निकाल दिया जाता है। लेकिन, गीता का एक श्लोक है कि आप “जैसा दोगे वैसा ही पाओगे” शायद मिथिलेश शुक्ला इस बात से अनभिज्ञ है कि वह भी किसी का पिता है शायद भगवान ना करे उसे यह दिन देखना पड़े।