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कोशी तटबंध के अंदर की तीन लाख आबादी बाढ़ विभीषिका का झेल रही दंश

जिला ब्यूरो संतोष कुमार की रिपोर्ट :

कोसी तटबंध के अंदर बसर कर रही सुपौल जिला की तीन लाख आबादी बाढ़ विभीषिका के चलते पूर्ण रूप से प्रभावित

बड़ी राहत, कोसी का घटने लगा डिस्चार्ज

सभी तटबंध सुरक्षित : डीएम

न्यूज़ डेस्क, जिला सुपौल 

– अमिट लेख

सुपौल, (ए.एल.न्यूज़)। जिले में रविवार को सुबह होते ही अधिकारी सदर प्रखंड अंतर्गत बसुआ फाटक स्थित तटबंध का निरीक्षण करने के दौरान जिलाधिकारी कौशल कुमार ने कहा कि नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार बारिश से तराई रिजन में चौबीस घंटे के दौरान करीब दो सौ एमएम बारिश हुई है।

ऐतिहासिक कोशी बराज

सभी को अलर्ट मोड में रखा गया है। तटबंध के अंदर से लोगों को बाहर निकलने की अपील की जा रही है। तटबंध के अंदर के सारे स्कूल एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों को अगले आदेश तक बंद रखने का आदेश दिया गया है।

छाया : अमिट लेख

तटबंधों को सुरक्षित रखना हमारी पहली प्राथमिकता है। बाहर निकलने वाले लोगों के लिए सामुदायिक किचन का संचालन किया जाएगा। जिले के छः प्रखंडों के बत्तीस पंचायत पूर्ण एवं आंशिक रूप से बाढ़ प्रभावित हैं।

फोटो : संतोष कुमार

जिससे करीब तीन लाख की आबादी बाढ़ का दंश झेलने को विवश है। जिलेवासियों में कोसी के जलस्तर को लेकर बेचैनी का माहौल रहा। लोग एक-दूसरे से फोन एवं अन्य माध्यमों से पल-पल का अपडेट लेते रहे। इधर, शुक्रवार की दोपहर बाद तटबंध के भीतर से लोगों का बाहर निकलना शुरू हुआ।

जिला प्रशासन के देवदूत पहुंचा रहे राहत सामग्री

हालांकि, शुक्रवार की शाम तक अधिकांश तक लोग अपने घरों से बाहर निकलने से परहेज करते रहे और रोजमर्रा के काम में व्यस्त दिखे। हालांकि, इस दौरान लोग खेतों में फैले जलावन सहित अन्य सामान समेटते दिखे। इधर कोसी के जलस्तर में लगातार अप्रत्याशित वृद्धि देख जिला प्रशासन सहित जल संसाधन विभाग के अधिकारी भी सकते आ गए।

बाढ़ पीड़ितों की समुचित व्यवस्था में जुटे जिला के आला अधिकारी

रविवार की सुबह दोपहर तीन बजे तक कोसी का जलस्तर दो लाख सोलह हजार पांच सौ क्युसेक पानी डिस्चार्ज हुआ जो घटने का संकेत है। वहीं कोसी बराज में आए पानी के साथ नेपाल प्रभाग से हिरण और भैंस बहकर भारतीय प्रभाग में आ गए। सरायगढ़ में छः जगहों पर शुक्रवार से ही सामुदायिक रसोई इधर सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड अंतर्गत पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर बसे पांच पंचायत में दोली और बनैनिया पूर्ण व लौकहा, भपटियाही, सरायगढ़ पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित है।

मौके पर कैम्प किये जिलाधिकारी

बनैनिया, ढोली, कटैया, भुलिया, कड़हरी, कवियाही, तकिया औरही सनपतहा वैसा उग्रीपट्टी गिरधारी भपटियाही लौकहा गोरीपट्ट सहित दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी दो से तीन फीट तक फैल गया है। जिस कारण लोग तटबंध के अंदर से पलायन करने लगे हैं। इसको लेकर डीएम कौशल कुमार, एसडीएम इंद्रवीर कुमार बीडीओ अच्युतानंद प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ चंद्रभूषण मंडल, सीओ धीरज कुमार भपटियाही थानाध्यक्ष किशोर कुमार सहित अन्य अधिकारी ने तटबंध का निरीक्षण किया। वहीं पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर और बाहर ऊंचे छः स्थानों पर कम्युनिटी किचेन रविवार से प्रारंभ कर दिया गया। तटबंध के अंदर फंसे लोगों को निकलने का सिलसिला जारी है। बताते हैं लोग कोसी में बाढ़ रोकने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू जो नेपाल और भारत के संयुक्त परियोजना के लिए कोसी बराज के निर्माण के लिए वर्ष 1953 में नींव रखे थे। और कार्य प्रारंभ वर्ष 1954 में हुई और कोसी बराज पुल वर्ष 1964 में बनकर तैयार हुआ जिसका उद्घाटन के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी वर्ष 1965 में कोसी बराज पुल का उद्घाटन किए पुल को बने लगभग अड़सठ वर्ष बीत जाने के बावजूद भी वर्तमान स्थिति में इतनी तेज धारा को बर्दाश्त कर रही है। ये पुल कितने झंझवात को झेल चुकी है पर पुल को कुछ नहीं हुआ है। आज के तारीख में बिहार में कितने पुल बनकर दो चार वर्षो में ही धराशायी हो रहे हैं। उस समय की टेक्नोलॉजी कितनी उन्नत थी सोच सकते हैं।

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