AMIT LEKH

Post: पी आई कंपनी ने गन्ना किसानों को दिया उन्नत खेती के टिप्स

पी आई कंपनी ने गन्ना किसानों को दिया उन्नत खेती के टिप्स

एरिया मैनेजर रविश ने उपस्थित गन्ना किसानों को बताया बुआई, सिंचाई और उर्वरक के साथ गन्ने में होने वाले रोगों से मुक्त गन्ना पैदावार बढ़ाने का तरीका

सेमरा कटकुईयां पंचायत के महुअर गांव में नवलकिशोर पाण्डेय के दरवाजे पर आहूत हुयी गन्ना किसानों की बैठक

कमलेश यादव
– अमिट लेख
सेमरा बाजार, (बगहा ग्रामीण)। आज रविवार के दिन महुअर के ओझवलिया गांव में पेस्टिसाइड इंडिया कंपनी के पुराने साथी और क़ृषि जानकार रविश कुमार एवं उनके सहयोगी विवेक दूबे की उपस्थिति में गन्ना उत्पादन में जुटे किसानों का एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर किसानों को जानकारी देते हुये बताया की गन्ना की अच्छी उपज के लिए केवल महँगी दवाइयों और उर्वरक के बल बुते किसान अच्छी पैदावार नहीं इसलिए ले पाते हैं, क्योंकि वे अपने खेतोँ में उचित मात्रा में सिंचाई की व्यवस्था नहीं कर पाते। श्री रविश ने सपाट शब्दों में में जताया की चाहे आप लाख कीमती महँगी से महँगी दवा और उर्वरक का प्रयोग क्यों नहीं कर लें। यदि उचित और पर्याप्त मात्रा में गन्ने की खेती में हर पंद्रह दिनों के अंतराल पर गन्ने की सिंचाई नहीं करते तो उचित और उन्नत पैदावार कदापि नहीं ले पाएंगे। रविश ने बताया की उनकी पेस्टिसाइड इंडिया भारतवर्ष की कंपनी है जो विगत 47 वर्षों से भारत में काम कर रही है पहले हमारी कंपनी तेल बनाती थी बाद में पेस्टिसाइड के क्षेत्र में अपने अच्छे इरादे और उत्पादन से आज उम्दा कंपनियों में शीर्ष पर काबीज़ है। बड़वा रोग गन्ना के लिए विशेष त्रासदी बनी हुयी है। चम्पारण में हमें इस समस्या से अमूमन होना पड़ता है। उन्होंने किसानों से कहा की इस समस्या से निजात पाने के लिए आपको तीन पद्धतियों से गुजरना पड़ेगा। पहला गन्ना बुआयी आप जब भी करें तो पहला काम आप खुली आँखों से छांट कर उसे रात भर रोग प्रतिराक्षण दवाओं में पहले भींगो कर उपचारित करें। फिर, अपने खेतोँ में अच्छा टर्बोड्राइवर ब्लीचिंग का छिड़काव करें। इसके बाद जब आपका गन्ना पूरी तरह उग आता है आप अपने खेतोँ में हमारी कंपनी का राकेट का एक स्प्रे शुरुआती दिनों में हीं कर दें। इससे अर्ली सुड बोरर से आपका गन्ना प्रतिरक्षित हो जाता है। इसके पंद्रह से बीस दिनों बाद आप अपने गन्ने में कासको और मैक्सिमा का छिड़काव बालू या पोटास के साथ करें। इसका इस्तेमाल किसान पूरे फसल चक्र में एक बार कर दें। उन्होंने बताया की कासको का प्रयोग किसान प्रति एकड़ 6 से सात किलोग्राम जबकि मैक्सिमा का प्रति एकड़ पांच से छह पाउच के अनुपात में करें। उन्होंने गन्ना को सूखा रोग से बचाने के लिए किसानों को बताया की वे इस संक्रमण से बचाव हेतु कीटाजिन हेयूमीसोल का छिड़काव जरूर कर दें। इससे टॉप बोरर और रेड बोरर से आपका गन्ना प्रतिरक्षित हो जायेगा और आप गन्ना का अच्छा और भरपूर उत्पादन ले सकते हैं, लेकिन यह तभी समुचित नतीजा दे पायेगा जब आप गन्ने की बुआयी से हीं ऐसे प्रयोग को अमल में लाएंगे। इस अवसर पर गन्ना उत्पादन किसानों में क्रमशः विनोद सिंह, प्रमोद पाण्डेय, त्रिलोकी पाण्डेय, केशव तिवारी, हरी पंडित, राधेश्याम पंडित, पिंटू तिवारी, नरेश ठाकुर, रजनीकांत, सौरभ तिवारी, ललन साहनी, जंगबहादुर पंडित सरीखे दर्जनों किसान उपस्थित थे। ओझवलिया के कुशल किसान विनोद सिंह ने क़ृषि अनुभवी रविश से जानकारी मांगी की क्या इन दवाओं के प्रयोग से किसानों को फसल प्रतिरक्षण के अतिरिक्त उत्पादन में इजाफा भी मिलेगा क्योंकि ऐसे प्रयोग से गन्ने की खेती में हमारी लागत खर्च बढ़ेगी। इस विषयक पीआई के रविश ने साफ जताया की हमारा प्रयास आपके गन्ने को स्वस्थ और रोग रहित बनाना है। प्रभेद और गन्ने की प्रजाति अपना स्वाभाविक उत्पादन जरूर देगी।

Comments are closed.

Recent Post