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Post: भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन का साहस त्याग, बलिदान की गौरवमयी इतिहास है : भाकपा माले

भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन का साहस त्याग, बलिदान की गौरवमयी इतिहास है : भाकपा माले

बेतिया से उप संपादक मोहन सिंह का चश्मा :

संघर्षों और कुर्बानियों की एक सदी : वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता

न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण 

मोहन सिंह

– अमिट लेख

बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। भाकपा माले ने भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन का शताब्दी वर्ष पर फासीवाद विरोधी संघर्ष और लोकतंत्रिक शक्तियां विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया।

फोटो : मोहन सिंह

परिचर्चा के मुख्य अतिथि भाकपा माले केन्द्रीय कमिटी सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि 100 सालों में कम्युनिस्टों ने जो व्यक्ति गत ईमानदारी व सार्वजनिक नैतिकता का जो परिचय दिया है, वह भारतीय राजनीति में उसकी कोई मिसाल नहीं है। अगर हमें एक भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाना है। तो यह कम्युनिस्टों के नेतृत्व में ही सम्भव है. आगे कहा कि कम्युनिस्टों ने साम्प्रदायिकता के खिलाफ बिना कोई समझौते किये आंदोलन जारी रखा है। इसके लिए कम्युनिस्टों का कोई विकल्प नहीं।

छाया : अमिट लेख 

जाति के नाम पर राजनीति बहुत हुई लेकिन जातिवाद खत्म नहीं हुआ। सिर्फ वर्गीय चेतना का विचार ही जातिवाद को खत्म कर सकता है और यह सिर्फ कम्युनिस्टों के पास है। भाकपा माले नेता सुनील कुमार राव ने कहा कि भारत के इतिहास में ते भागा और तेलांगना आंदोलन का काफी महत्वपूर्ण जगह है, यह अदभुत त्याग बलिदान की गौरवमयी वीरगाथा है। इंकलाबी नौजवान सभा जिला अध्यक्ष फरहान राजा ने कहा कि भाजपा समाज को संविधान के बल पर नहीं मनुस्मृति के बल पर चलने की कोशिश कर रहीं हैं। समाज में जाति हिंसा को बढ़ावा देने का काम कर रहीं हैं। वरिष्ठ नेता दयानंद दुबे ने कहा कि जो पहले ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर कम्पनी राज और जमींदारों का कब्जा था जिसको संघर्षों के बल पर खत्म किया, कम्युनिस्टों ने बलिदान की मिशाल कायम किया है. इनके अलावा नवीन कुमार, संजय यादव, सुबास चन्द्र कुशवाहा, जवाहर प्रसाद, जितेन्द्र राम आदि नेताओं ने भी सम्बोधित किया, संचालन सुरेन्द्र चौधरी ने किया

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