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Post: नेपाल के गोपी बस्ती ग्राम के पास एक बाघिन का शव मिलने से इलाके में सनसनी

नेपाल के गोपी बस्ती ग्राम के पास एक बाघिन का शव मिलने से इलाके में सनसनी

बेतिया से उप-संपादक का चश्मा :

बाघों के निरंतर मौत का  कारण बाघों के बीच आपसी संघर्ष का होना निश्चित तौर पर यह जताने लगा है की हमारे टाइगर रिज़र्व में कहीं ना कहीं बाघों के अधिवास का विषय समुचित नहीं

न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चंपारण 

मोहन सिंह

– अमिट लेख

बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। मैनाटांड़ के विजय बस्ती के उस पार नेपाल के गोपी बस्ती गांव के पास रविवार को एक बाघिन का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई। ग्रामीणों ने इसकी सूचना तुरंत नेपाली वन विभाग को दी। जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। स्थल निरीक्षण में बाघिन के सिर और गर्दन पर गंभीर चोट के निशान मिले, साथ ही शरीर पर जगह-जगह नाखून और दांतों के गहरे घाव पाए गए। प्राथमिक जांच में आशंका जताई गई है कि यह मौत वर्चस्व की लड़ाई में दो बाघों के बीच हुई भीषण भिड़ंत का नतीजा है। नेपाल के डीएफओ विकास अलावत ने बताया कि मृत बाघिन की पहचान की जा रही है। घटनास्थल भारतीय सीमा से सटा होने के कारण विशेष निगरानी दल को तैनात किया गया है, ताकि दूसरे घायल बाघ की तलाश की जा सके। आपसी वर्चस्व में पहले भी जा चुकी है बाघों की जान (20 फरवरी, 2021) – मंगुराहां वन प्रक्षेत्र से ही रेस्क्यू कर पटना चिड़ियाघर पहुंचाई गई बाघिन की मौत हो गई थी। (13 अक्टूबर 2021) – मैनाटांड़ के चक्रसन गांव के समीप गन्ने के खेत में वर्चस्व की लड़ाई में एक बाघ की मौत हो गई थी। ( 23 अगस्त 2023) मैनाटांड़ के जम्हौली दोमुहान के पास घायल बाघिन को पिंजरे में कैद कर उपचार के लिए पटना चिड़ियाघर भेजा गया था। जहां उसकी मौत हो गई थी। ( 24 मार्च 2024) – बलबल 1 उप परिसर मे एक बाघ कि मौत (23 अगस्त 2024)- अमहवा के 46 कंपार्टमेंट मे एक बाघ कि मौत (29 मई 2025) ठोरी जंगल में एक बाघ कि मौत आपसी संघर्ष में हो गई थी। हालाँकि इस वर्ष जहाँ विटीआर में बाघों की संख्या बढ़त में दिखाई गई वहीँ हरनाटांड वन क्षेत्र समेत विटीआर के जंगल में हो रहे बाघों के निरंतर मौत का  कारण बाघों के बीच आपसी संघर्ष का होना निश्चित तौर पर यह जताने लगा है की हमारे टाइगर रिज़र्व में कहीं ना कहीं बाघों के अधिवास का विषय समुचित नहीं। लिहाजा संख्या में वृद्धि के साथ ही इन्हें उचित आश्रयणी उपलब्ध नहीं हो पा रहा अथवा अन्य कोई भी कारण हो इस बाबत ब्याघ्र परियोजना प्रशासन को शीघ्र और उचित संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाना महत्वपूर्ण होगा।

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