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रेणु देवी मामला : भाकपा माले ने अपने जांच प्रतिवेदन में इसे सामंतों और पुलिस थाना के गंठजोर का बताया नतीजा

बेतिया से उप-संपादक का चश्मा :

रेणु देवी सहित पूरे परिवार की सामंती ताकतों द्वारा बर्बर पिटाई पुलिस की मौजूदगी में करने का आरोप लगाया

न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण 

मोहन सिंह

– अमिट लेख
बेतिया, (ए.एल.न्यूज़)। भाकपा माले की जांच टीम जिसमें जिला कमिटी सदस्य संजय यादव, पूर्व सरपंच मनबोध साह, अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला नेता धर्म नाथ कुशवाहा, विनोद यादव सहित स्थानीय और लोग भी शामिल थे। जांच टीम चनपटिया प्रखण्ड, लोहियरिया पंचायत के मरचईया गाँव में पहुँच कर पिडित परिवार सहित गाँव के अन्य ग्रामीणों से पूछताछ किया जांच उपरांत जो तथ्य सामने आया वह इस प्रकार है :
1- 14 सितंबर 25 को भाजपा के शाखा वाहिनी के लम्पट मनबढ़ रत्नेश ओझा ने अपनी तेज गाड़ी से आति पिछड़ी जाति (भर जाति) की रेणु देवी के जीविका के एक मात्र साधन बकरी को कुचल दिया जिसमें बकरी का पैर टूट गया, बकरी किसी तरह बच गयीं।
2- रेणु देवी ने जब इस की फरियाद लेकर रत्नेश ओझा के पिता उदय ओझा के पास गाँव के बगल में ही स्थित ईट भठ्ठा पर गयी तो उदय ओझा आग-बबूला हो उठे और उस गरीब महिला को बेरहमी से पिटाई कर दी। वहां कोई छोडने वाला नहीं था, उस महिला ने बताया कि सामंती उदय ओझा बोल रहा था कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई की मेरे बेटे की शिकायत लेकर मेरे पास आ गयी।
3- रत्नेश ओझा को जब यह खबर मिली की उक्त महिला, शिकायत लेकर ईट भठ्ठा पर उसके पिता के पास आयी थी, तो, अपने गांव तीन किलोमीटर दूर से यानी जादोछापर से 25-30 लम्पटों को साथ लेकर लाठी डंडे से लैस होकर मरचईया गाँव में पहुँच गया।  जहां, मारपीट की खबर सुन कर 112 नम्बर पुलिस पहुचीं हुईं थीं। पुलिस की मौजूदगी में रेणु देवी के पुरे परिवार रोहित कुमार, प्रिस कुमार, चन्द्रिका भर सहित रेणु देवी की दूबारा पिटाई की गई। पुलिस मूकदर्शक बनी रहीं बीच-बचाव भी नहीं किया। जिसका ग्रामीणों ने वीडियो फुटेज भी दिखाई, और अभी भी मौजूद है।
4- कुमार बाग थाना में उल्टे उदय ओझा ने अपने बेटे रत्नेश ओझा से उस पिडित महिला रेणु देवी पर सर पर तेज़ हथियार से हमला करने और 20 हजार रुपये लूटने जैसे गम्भीर अपराधिक धारा में फर्जी एफआईआर दर्ज करा दिया है।
5- उसी तिथि में पिडित रेणु देवी ने भी कुमार बाग थाना में आवेदन पत्र दिया था लेकिन तीसरे दिन कुमार बाग थाना प्रभारी द्वारा रेणु देवी को फोन कर एफआईआर दर्ज करने के बहाने थाना पर बुलाया गया। जब महिला रेणु देवी थाना पहुचीं तो उसे थाना प्रभारी और वहां मौजूद सामंती लम्पट भाजपाई उदय ओझा द्वारा डरा धमका कर एक फर्जी वीडियो बनाया गया है कि तुम कबूल कर लो कि मैंने यानी रेणु देवी ने रत्नेश ओझा पर खुद हमला कर घायल किया और रूपये लूटने काम किया है। और अंत में उस पिडित महिला को दोषी करार कर न्याय दिलाने की जगह नीतीश की पुलिस ने उल्टे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है।
6- मरचईया गाँव सहित कई अगल-बगल के गाँवों में दहशत बना हुआ है।
7- यह घटना यह साबित करने के लिए काफी है कि नीतीश कुमार के 20 साल के शासन काल में सामंती ताकतों और लम्पट भाजपाईयों का मनोबल असमान चढ़ा हुआ है।
8- यह घटना पुलिस की भूमिका को एकदम नंगे कर रख दिया है।
9 – पूरी घटना पर भाकपा माले की जांच टीम पुलिस की भूमिका को संदिग्ध करार दे रही है। वरिय पुलिस अधिकारी से इस घटना को गम्भीरता से निष्पक्ष जांच कर पिडित महिला को न्याय दिलाने की मांग कर रहीं, और उस महिला द्वारा दिये गये आवेदन-पत्र पर कानूनी कार्रवाई कर रत्नेश ओझा सहित सभी अपराधियों को गिरफ्तार करने की मांग कर रहीं हैं। ताकी सामंती ताकतों द्वारा जूल्म पर रोक लग सके। गाँव में शांति बहाल हो सकें।
भाकपा माले जांच टीम का निष्कर्ष :
भाकपा माले की जांच टीम का मानना है कि जो सामंती ताकतें किसान आंदोलन के थापड़ से मुरझा चुकीं थीं. उस सामंती ताकतों को 74 आंदोलन के उपज नीतीश कुमार ने भाजपाई ताकतों के साथ गठबंधन कर न सिर्फ जिंदा किया है बल्कि खुंखार भेडियों के झुंड में बदल दिया है, अफ़सोस इस बात यह है कि आज ऐसे खतरनाक दौर में इस खुंखार भेडियों की टोली में चिराग पासवान, जितन राम माझी, उपेन्द्र कुशवाहा शामिल हैं। जिससे समाजिक न्याय की ताकतें कमजोर हुईं हैं। आज भाजपाई ताकतों का जिस तरह पुलिस प्रशासन के आलावा संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा होतें जा रहा है, वैसी स्थिति में एक बार फिर गरीबों मजदूरों किसानों को मिलकर लाल झंडा को यानी भाकपा माले को मजबूत करना होगा। आंदोलन को तीखे लेवल पर पहूंचाकर ही इन सामंती और भाजपाई ताकतों को सिक्स्त दिया जाऐगा।

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