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Post: धन्वंतरि पूजा के साथ आयोजित संगोष्ठी में आयुर्वेदिक चिकित्सा को घर-घर तक पहुंचाने पर बल

धन्वंतरि पूजा के साथ आयोजित संगोष्ठी में आयुर्वेदिक चिकित्सा को घर-घर तक पहुंचाने पर बल

छपरा से हमारे प्रमंडलीय ब्यूरो का संकलन :

आयुर्वेदानुरागी संगोष्ठी में आयुर्वेद प्रेमियों ने साझा किए विचार

इस अवसर पर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने ‘आधुनिक चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेद का प्रभाव’ विषय पर अपने विचार रखे

न्यूज़ डेस्क, छपरा/सारण 

संवाददाता

– अमिट लेख

छपरा, (सारण)। आयुर्वेदिक चिकित्सकों व दवा दुकानदारों के संयुक्त प्रयास से रविवार को धन्वंतरि पूजा एवं आयुर्वेदानुरागी संगोष्ठी का आयोजन शहर के बैंक कॉलोनी भगवान बाजार स्थित अशोक सिंह के हाता में धूमधाम से आयोजित किया गया।

फोटो : संवाददाता

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में चिकित्सक, आयुर्वेद प्रेमी एवं स्थानीय नागरिक शामिल हुए। इस अवसर पर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने ‘आधुनिक चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेद का प्रभाव’ विषय पर अपने विचार रखे। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए संजय कुमार सिंह ने कहा कि आयुर्वेद प्रेमियों को एक साझा मंच पर लाना समय की मांग है। उन्होंने डॉ. राजेश कुमार डाबर व कविराज उत्तम कुमार कूंडू की दूरदर्शी सोच की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप यह संगोष्ठी संभव हो सकी। इस दौरान डॉ. ओमप्रकाश मिश्रा, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. आर.के. वर्मा, डॉ. विद्या सिंह, विशाल कुमार सहित कई चिकित्सकों ने आयोजन समिति की सराहना की। वहीं हर्ब ज्योति नेचुरल के संस्थापक डॉ. राजीव रंजन ने कहा कि शुभांजलि स्किल मिशन ट्रस्ट के सौजन्य से आयोजित इस आयुर्वेदानुरागी संगोष्ठी का आयोजन प्रत्येक दो महीने पर होना चाहिए। ताकि आयुर्वेद प्रेमी लगातार स्वास्थ्य लाभ लेते रहें। उन्होंने कहा कि यदि इस तरह के आयोजन जिला स्तर पर और फिर राष्ट्रीय स्तर तक किए जाएं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति एक बार फिर घर-घर में स्थापित हो सकेगी। कार्यक्रम में हर्ब ज्योति नेचुरल के विशेष उत्पादों क्रमशः मधुनाशक चूर्ण, ज्वर पित्त सुष्टि नाशक क्वाथ आदि आदि आयुर्वेद प्रेमियों के बीच निःशुल्क वितरित किए गए। डॉ. राजीव रंजन ने इन अपकमिंग प्रोडक्ट्स के गुणों पर विस्तृत जानकारी दी। मुख्य अतिथि व जदयू नेता अशोक सिंह ने कहा कि 10,000 वर्ष पुरानी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के आधुनिक शोध को बढ़ावा देना आज की आवश्यकता है। कार्यक्रम का समापन कविराज उत्तम कुमार कु़ंडू द्वारा किया गया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राजेश डाबर ने किया।

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