बेतिया से उप-संपादक का चश्मा :
ऐतिहासिक चंद्रावत नदी के किनारे बने संत घाट मंदिर सहित स्थानीय धरोहरों के पर्यटनिक महत्व को सुरक्षित और सुसज्जित करने को लेकर नगर निगम बोर्ड से पारित प्रस्ताव पर जारी कर दी गई है इसकी निविदा
समीप के पर्यटन स्थल सरैया मन के रास्ते में पड़ने वाले संत घाट मंदिर को महापौर ने बताया दुर्लभ स्थापत्य और वास्तुकला की रमणीक उदाहरण
न्यूज़ डेस्क, जिला पश्चिम चम्पारण
ए.एल.न्यूज़
– अमिट लेख
बेतिया, (मोहन सिंह)। महापौर गरिमा देवी सिकारिया ने कहा कि पर्यटनिक उद्देश्य से महत्वपूर्ण स्थानीय धरोहरों को सुरक्षित और सुसज्जित बनाया जाना मेरी उच्च प्राथमिकता है। इसी क्रम में ऐतिहासिक चंद्रावत नदी के किनारे बने संत घाट मंदिर की चहारदीवारी के साथ दो गेट का निर्माण कराया जाएगा। नगर निगम बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव के आलोक में इसकी निविदा जारी कर दी गई है।

निविदा प्रक्रिया पूरी होने के आधार इस महत्वपूर्ण योजना नियमानुसार पूरी की जाएगी। इसके साथ ही इसके औचित्य और महत्व की चर्चा करते हुए महापौर श्रीमती सिकारिया ने बताया कि बताया जाता है कि दुर्लभ स्थापत्य और वास्तुकला की दृष्टि से यह रमणीक मंदिर का आज बहुत महत्वपूर्ण है। जिसका निर्माण 1826 ई.में कराया जाना बताया जाता था। नदी के तट पर एक स्नान गृह का भग्नावशेष है, यहां बेतिया राज की महारानी स्नान करने आती थी। मंदिर में रामजी, सीता माता व लक्ष्मण जी की मूर्तियां हैं। बगल में ही शिव जी का एक छोटा मंदिर है। पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरैयामन के मार्ग में अवस्थित यह स्थान भी बेहद ही रमणीक है, जहां हर साल के छठ महापर्व के समय श्रद्धालु लोगों का विशाल जनसमूह जमा होता है। इस निविदा के पूरी होने के बाद भी पर्यटन के मानचित्र पर इस स्थान और उसके महत्व को उजागर करने से जुड़ी अन्य योजनाओं पर भी शीघ्र ही अमल किया जाएगा।








