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छपरा की डायरी….
भूमि सुधार कानून का लागू नहीं होना, समर्थन मूल्य नहीं मिलना और उचित जल प्रबंधन का नहीं होना
– अमिट लेख
रिपोर्ट : रुचि सिंह ‘सेंगर’
छपरा (सारण)। जन सुराज पदयात्रा शिविर में पत्रकार वार्ता के दौरान सारण जिले में गुरुवार को किसानों की तीन सबसे बड़ी समस्यायों पर बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में जल प्रबंधन बड़ी समस्या है। बिहार में 50 प्रतिशत खेती योग्य भूमि बाढ़ से प्रभावित हैं और उतनी ही भूमि सूखे से ग्रसित है। ये समस्या दिखाती है कि बिहार में जल प्रबंधन पूरी तरह से विफल है। देश में बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पिछले 10 साल में 11 प्रतिशत सिंचित भूमि कम हो गई है। इसके बाद दूसरी बड़ी समस्या है भूमि सुधार कानून का लागू न होना। देश में सबसे ज्यादा भूमिहीन लोग बिहार में ही हैं। बिहार में 100 में से 60 आदमी के पास बिल्कुल भी जमीन नहीं है। बाकी 40 में से 35 आदमी ऐसे हैं जिनके पास 2 बीघा से कम जमीन है। इस हिसाब से बिहार में 100 में से 95 लोग पेट भरने के लिए खेती करते हैं, कमाने वाली खेती नहीं करते। तीसरी बड़ी वजह है किसानों को उनके फसलों का समर्थन मूल्य नहीं मिल पाना। किसानों से बात करने पर 90 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने धान को 1200 से 1500 प्रति क्विंटल की दर से बेचा है, जबकि धान का सरकारी समर्थन मूल्य 2050 रुपया है। बिहार में किसानों को इन 3 बड़ी समस्यायों का सामना करना पड़ रहा है।