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Post: मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचने का राजयोग एक कवच कुंडल है

मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचने का राजयोग एक कवच कुंडल है

राजयोग द्वारा अपने कर्मेंद्रियों पर संयम कर कर्म में कुशलता से सकारात्मक चिंतन, सकारात्मक वृति और दृष्टिकोण की उपलब्धि होती हैं। जिससे हम व्यर्थ से बच सकते हैं

न्यूज़ डेस्क, सुपौल ब्यूरो

मिथिलेश कुमार झा, अनुमंडल ब्यूरो

– अमिट लेख

वीरपुर, (सुपौल)। राजयोग द्वारा अपने कर्मेंद्रियों पर संयम कर कर्म में कुशलता से सकारात्मक चिंतन, सकारात्मक वृति और दृष्टिकोण की उपलब्धि होती हैं। जिससे हम व्यर्थ से बच सकते हैं। राजयोग के अभ्यास द्वारा तनाव मुक्त बन हम अनेक मानसिक और शारीरिक बीमारियों से स्वंग को बचा सकते हैं। मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचने का राजयोग एक कवच कुंडल है।

फोटो : मिथिलेश झा

उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से आए हुए ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहीं। वे आज यहां स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केंद्र द्वारा एक दिवसीय राजयोग साधना कार्यक्रम में एकत्रित ईश्वर प्रेमी भाई बहनों को राजयोग का जीवन में महत्व विषय पर अपने उद्गार व्यक्त किए। भगवान भाई ने राजयोग की विधि बताते हुए कहा कि स्वंय को आत्मा निश्चय कर चाँद, सूर्य, तारांगण से पार रहनेवाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना, मन-बुद्धि द्वारा उसे देखना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग है। राजयोग के द्वारा हम परमात्मा के मिलन का अनुभव कर सकते हैं। उन्होनें यह भी कहा कि राजयोग के अभ्यास द्वारा ही हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, नफरत आदि मनोविकारों पर जीत प्राप्त कर जीवन को अनेक सद्गुणों से ओतप्रोत कर सकते हैं। राजयोग के द्वारा मन को दिशा निर्देशन मिलती हैं। जिससे मन का भटकना समाप्त हो जाता है। राजयोगी भगवान भाई ने अपने अनुभव के आधार से बताया कि राजयोग के अभ्यास से विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक चिंतन के द्वारा मन को एकाग्र किया जा सकता है। उन्होनें कहा कि वर्तमान की तनावपूर्ण परिस्थितियों में मन को एकाग्र और शांत रखने के लिए राजयोग संजीवनी बूटी की तरह काम आता हैं। उन्होनें कहा कि राजयोग के अभ्यास द्वारा सहनशीलता, नम्रता, एकाग्रता, शांति, धैर्यता, अंतर्मुखता ऐसे अनेक सद्गुणों का जीवन में विकास कर सकते है। राजयोग द्वारा ही मन की शांति संभव है। उन्होनें बताया की राजयोग के अभ्यास से अतींद्रिय सुख की प्राप्ति होती हैं। जिन्होनें अतींद्रिय सुख की प्राप्ति कर ली उनको इस संसार के वस्तु, वैभव का सुख फीका लगने लगता हैं। उन्होंने कहा कि राजयोग के द्वारा हम अपने इंद्रियों पर सयंम रखकर अपने मनोबल को बढा सकते हैं।राजयोग द्वारा आंतरिक शक्तियाँ और सद्गुण को उभार कर जीवन में निखार ला सकते हैं।

छाया : अमिट लेख

उन्होंने कहा कि दूसरों की विशेषताएं देखने और धारण करने में ही हमारी आत्मा की उन्नति होती है। दूसरों के अवगुण को देखकर अगर हम उनका चिंतन-मनन करते हैं और उन्हें जगह-जगह फैलाते हैं, तो वे पलट कर हमारे पास ही आ जाते हैं और हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। आत्मचिंतन उन्नति की सीढ़ी है, तो पर चिंतन पतन की जड़ है। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेंद्र की प्रभारी बी के देवी बहन जी नें राजयोग को अपनी दिनचर्या का अंग बनाने की अपील किया उन्होंने कहा वर्तमान की विपरीत परिस्थितियों में राजयोग हमे तनाव मुक्त रखने में बहुत ही मददगार बनेगा। कार्यकर्म कि शुरुवात दीप प्रज्वलन से किया। स्थनीय ब्रह्माकुमारी केंद्र द्वारा बी के भगवान भाई का संम्मान शाल ओढाकर और गुलदस्ते से किया। अनिल उपाध्याय जी ने अंत धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यकर्म में अनिल उपाध्याय, भिखारी मेहता, तनुज लाल, मुकेश मादी, अनिल कुमार मेहता, देवनारायण पासवान, बी के उमा बहन जी, बी के संतोष बहन जी, बी के अमृता बहन जी, घनश्याम भाई उपस्थित थे। कार्यकर्म में सीतापुर,परमान्दपुर, बलुवा, बसमतिया, घुरना , वीरपुर आदि के भाई बहनो ने इस कार्यक्रम का लाभ लिया। सभी को ब्रह्मा भोजन भी वितरित किया। कार्यक्रम के अंत बी के भगवान भाई ने राजयोग का अभ्यास सभी को शांति का अनुभव कराया।

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