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Post: चंपारण के मरचा धान को मिला जीआई टैग प्रमाण पत्र

चंपारण के मरचा धान को मिला जीआई टैग प्रमाण पत्र

पश्चिम चम्पारण के लिए मरचा धान बना शान, गौरवान्वित हुए चम्पारण के किसान

न्यूज़ डेस्क, बेतिया

–  अमिट लेख

बेतिया, (मोहन सिंह)। पश्चिम चम्पारण की ऐतिहासिक, अनमोल व सुगंधित मरचा धान राज्य एवं देश को कौन कहे, अन्य देशों में भी प्रसिद्ध है। मरचा धान बिहार के पश्चिम चंपारण जिला में स्थानीय रूप में पाए जाने वाला एक अनोखा किस्म का धान है, जिसकी खेती रामनगर, गौनाहा , नरकटियागंज, चनपटिया, लौरिया एवं मैनाटांड़ प्रखंडों के कुछ खास जगहों पर की जाती है।

फोटो : अमिट लेख

मर्चा धान काली मिर्च की तरह दिखाई देता है और काफी सुगंधित होता है। मरचा धान की खेती के लिए पश्चिम चंपारण की कुछ खास जगह की मिट्टी एवं जलवायु बेहद ही अनुकूल है, जो देश के किसी भी भाग में नहीं पाया जाता है। जिसके कारण मरचा धान को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन, कृषि विभाग एवं यहां के किसान करीब ढाई वर्षो से काफी प्रयत्नशील थे। जो आज पूरा हो गया है और मरचा धान को जीआई टैग से जोड़ दिया गया है।

छाया : मोहन सिंह

इस जीआई टैग की मदद से कृषि, प्राकृतिक या निर्मित वस्तुओं की अच्छी गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सकता है जिससे पश्चिम चंपारण एवं बिहार के लिए गौरव की बात है। अभी तक बिहार के पांच कृषि उत्पादकों को जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानि जीआई टैग मिला हुआ था, जिसमें मुजफ्फरपुर की लीची, भागलपुर का जर्दालु आम, कतरनी चावल, मिथिला का मखाना और नवादा का मगही पान शामिल है। मगर अब जीआई टैग वाले कृषि उत्पादों की संख्या 5 से बढ़कर 6 हो गई है। विदित हो कि जीआई टैग 10 वर्षों के लिए मिलता है, जो कि गुणवत्ता बने रहने पर अवधि विस्तार मिलता है।

छाया : मोहन सिंह

जीआई टैग मिलने से उत्पादों की नकल को रोका जा सकता है, इसलिए यह भारत में भौगोलिक संकेतों को संरक्षण प्रदान करता है। टैग अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों को दिया जाता है, ताकि ग्राहकों की संतुष्टि बढ़ें। उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता, उत्पादकों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार के द्वार भी खोलती है और उत्पादकों के राजस्व में वृद्धि एवं इस क्षेत्र में रोजगार सृजन होता है।मरचा धान के चूड़ा का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाएगा।

छाया : अमिट लेख

पश्चिम चम्पारण जिले के विकास में मर्चा चूड़ा को जीआई टैग मिलना अत्यंत ही कारगर साबित होगा। जीआई टैग मिलने से उत्पाद की पहचान वैश्विक फलक पर पहचानी जाती है। निर्यात को बढ़ावा मिलता है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलता है। जीआई टैग मिलने से उत्पाद को सुरक्षा और उसके संरक्षण की दिशा में सरकार किसानों का सहयोग करती है तथा एग्रो टूरिज्म भी बढ़ता है। जीआई टैग से जुड़े संबंधित अधिकारी मरचा चूड़ा के बाद इस जिले के अन्य विशिष्ट उत्पादों जैसे आनंदी भुजा, जर्दा आम इत्यादि को भी अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने की हर संभव प्रयास करेंगे।

फोटो : अमिट लेख

उक्त बातें मीडिया कर्मियों को संबोधित करते हुए पश्चिम चंपारण के जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय ने कही। इस अवसर पर जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय ने मर्चा धान की खेती करने वाले पांच किसानों को जीआई टैग प्रमाण पत्र एवं पुष्प गुच्छ से सम्मानित किया गया। इस मौके पर वरीय उप समाहर्ता राजकुमार सिंहा, अपर समाहर्ता, कृषि वैज्ञानिक डॉ धीरु कुमार तिवारी, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी, अपर अनुमंडल पदाधिकारी आदि उपस्थित थे।

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