केन्द्रिय कारा(जेल)के कैदियो को मिला रोजगार
उत्पादों की बिक्री से प्राप्त राजस्व को बंदियों के अपराध से पीड़ित परिवार के कल्याणार्थ पर किया जाएगा खर्च,जेल अधीक्षक
न्यूज़ डेस्क, मोतिहारी ब्यूरो
दिवाकर पाण्डेय
– अमिट लेख
मोतिहारी, (जिला ब्यूरो)। केन्द्रीय कारा(जेल) में लोहा व स्टील निर्मित सामाग्री तथा बैंग, चादर, अब एक निर्माण उद्योग के रुप में बदल गया है। अब कारा निर्मित सामग्रियां ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे स्नैपडील अमेजन, फ्लिपकार्ड पर ह्यमुक्तिह्ण ब्रांड टैग के साथ बिक्री किया जाएगा। जिसको लेकर कारा(जेल) प्रशासन व बंदियों में उत्साह देखने को मिल रहा है। जेल अधीक्षक विदु कुमार ने बताया कि केन्द्रीय कारा मोतिहारी के बंदियों ने कड़ी लग्न व मेहनत के साथ लोहे से निर्मित सामग्री टेबल, विभिन्न प्रकार के गमला स्टैण्ड, घरेलू उपयोग व सजावट की सामग्रियां के साथ बांस निर्मित फुल, बलिया, गमला, टोकड़ी रोटी केश, बल्ब होल्डर एवं पेंटिंग के साथ कारा निर्मित कढ़ाई चादर, लैबटॉप बैग , विभिन्न प्रकार के लेडिज पर्स सहित करीब 400 सामग्रियों का निर्माण किया है। जिसे बेचने के लिये अब ऑनलाइन प्लेटफार्म मिलेगा। इसके लिये सरकार ने हरी झंडी दे दी है। हाल में दो को सरदार पटेल स्थित संग्रहालय पटना में आयोजित प्रतियोगिता / प्रदर्शनी के लिए विभिन्न प्रकार की सामाग्रियों की बनावट, हस्तकला एवं उत्पाद के साथ केन्द्रीय कारा मोतिहारी में बंदियों के बनाये चार सौ सामग्रियों की दमदार स्टॉल लगाये गये थे। वहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ने कारा उद्योग ब्रांड मुक्ति की शुरुआत की। केन्द्रीय कारा के पुरुष बंदियों के साथ महिला बंदी भी कला-कौशल दिखाने में भी कम नहीं है। महिला बंदियों ने भी पुरजोर कोशिश कर चादर एवं घरेलू सजावट की सामग्रियां बनाने में जुटी है। सूबे में चयनित केन्द्रीय कारा मोतिहारी में उद्योग स्थापित होने पर बंदियों को रोजगार संग आमदनी भी होगी। बंदियों को मिले रोजगार से जो आमदनी होगी वह बंदियों के परिजन तक भी पहुंचेगा। कारा में रहने के दौरान बंदी के परिजन घर पर आर्थिक संकट से नहीं जुझ पाएंगे। काराधीन बंदियों द्वारा हस्तकला, पेंटिंग, सिलाई और निर्माण के साथ प्रतिभा साबित करेंगे।
आमदनी बंदी कल्याण में खर्च होगा :
केन्द्रीय कारा मोतिहारी में बंदियों के बनाये गये सामान की बिक्री होने पर जो आमदनी होगी वह बंदी कल्याण में खर्च होगा। जेल अधीक्षक विदु कुमार ने बताया कि उद्योग द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री से प्राप्त राजस्व को बंदियों के अपराध से पीड़ित परिवार के कल्याणार्थ खर्च किया जाएगा। साथ ही इसका कुछ हिस्सा बंदी कल्याण कोष में जमा होगा।